Rajesh Ram Bihar Elections: कांग्रेस ने जारी की 16 उम्मीदवारों की पहली सूची, महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर गतिरोध जारी
Rajesh Ram Bihar Elections के बीच कांग्रेस ने गुरुवार को अपने 16 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जब महागठबंधन अभी तक सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बना पाया है, ऐसे में कांग्रेस का यह कदम राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने यह सूची बिना औपचारिक समझौते के जारी कर दी है ताकि संगठनात्मक शक्ति और तैयारी का संदेश दिया जा सके।
Rajesh Ram Bihar Elections में कांग्रेस की पहली चाल
Rajesh Ram Bihar Elections में कांग्रेस ने जिन 16 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए हैं, वे ज्यादातर उसके पारंपरिक गढ़ और पिछली बार की मजबूत सीटें मानी जाती हैं। इसमें गया, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, कटिहार और भागलपुर जैसे जिले शामिल हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि “कांग्रेस महागठबंधन की भावना के साथ चल रही है, लेकिन संगठनात्मक तैयारी के लिए उम्मीदवारों की घोषणा आवश्यक थी।”
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस ने उम्मीदवारों के चयन में सामाजिक समीकरण, जातीय संतुलन और स्थानीय लोकप्रियता को प्राथमिकता दी है।
Rajesh Ram Bihar Elections में सीट बंटवारे को लेकर अटका मामला
महागठबंधन (RJD, Congress, CPI(ML), CPI, CPM) में सीट बंटवारे को लेकर अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। राजद प्रमुख तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेतृत्व के बीच बीते हफ्ते दो दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन सीटों की संख्या और क्षेत्रीय दावेदारी को लेकर मतभेद कायम हैं।
कांग्रेस 80 से अधिक सीटों पर दावा कर रही है, जबकि RJD उसे 50 से अधिक देने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि Rajesh Ram Bihar Elections में कांग्रेस ने अब अपने दम पर चुनावी तैयारी शुरू कर दी है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश राम (Rajesh Ram) ने कहा —
“हम महागठबंधन की एकजुटता बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन देरी से कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित होता है। इसलिए पार्टी को जल्द तैयारी करनी थी।”
उम्मीदवारों की सूची में कौन-कौन हैं?
कांग्रेस की ओर से घोषित 16 उम्मीदवारों में कई पुराने और नए चेहरे शामिल हैं।
-
राजेश राम (गया ग्रामीण) — दलित समुदाय के लोकप्रिय नेता, सामाजिक न्याय के मुद्दों पर मुखर।
-
नवीन मिश्रा (दरभंगा ग्रामीण)
-
शकुंतला देवी (कटिहार)
-
अब्दुल रहमान (भागलपुर शहरी)
-
कुमुद सिंह (सुपौल)
-
प्रमोद कुमार (अररिया)
-
मनोज चौधरी (मधुबनी)
-
अलका शर्मा (सासाराम)
… और अन्य 8 सीटों पर स्थानीय स्तर के प्रभावशाली प्रत्याशी।
कांग्रेस ने इस सूची के माध्यम से सामाजिक विविधता का प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। महिलाओं, अल्पसंख्यकों और दलित समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया गया है।
RJD की नाराजगी और गठबंधन पर असर
Rajesh Ram Bihar Elections में कांग्रेस के इस कदम से RJD में असंतोष के संकेत मिले हैं। राजद प्रवक्ता चंद्रिका राय ने बयान दिया —
“कांग्रेस को एकतरफा निर्णय लेने से बचना चाहिए था। गठबंधन में संवाद और समन्वय जरूरी है।”
हालांकि, कांग्रेस नेताओं का तर्क है कि यह कोई “एकतरफा फैसला” नहीं बल्कि “तैयारी का हिस्सा” है।
पार्टी के चुनाव प्रबंधक राजेश राम ने कहा कि उम्मीदवारों की घोषणा का मतलब गठबंधन से अलग होना नहीं है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस महागठबंधन की भावना का सम्मान करती है और बातचीत जारी है।
BJP और NDA की प्रतिक्रिया
भाजपा ने कांग्रेस की इस जल्दबाजी को “महागठबंधन की अंदरूनी कलह” बताया है।
भाजपा प्रवक्ता संजय जयसवाल ने कहा —
“Rajesh Ram Bihar Elections में महागठबंधन की एकता सिर्फ दिखावे की है। कांग्रेस और RJD के बीच अविश्वास गहराता जा रहा है। जनता इसे समझ चुकी है।”
जेडीयू नेताओं ने भी कहा कि विपक्ष में “सहमति की कमी” से एनडीए को लाभ मिलेगा।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि महागठबंधन में सीट बंटवारा जल्द नहीं सुलझा, तो कांग्रेस और वाम दलों के अलग-अलग उम्मीदवार मैदान में उतर सकते हैं, जिससे विपक्षी वोटों का बिखराव होगा।
Rajesh Ram Bihar Elections में कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस की रणनीति दो स्तंभों पर आधारित दिखाई दे रही है —
-
स्वतंत्र पहचान बनाए रखना: पार्टी यह दिखाना चाहती है कि वह केवल गठबंधन की सहायक नहीं बल्कि अपने संगठन और जनाधार के दम पर चुनाव लड़ने में सक्षम है।
-
दबाव की राजनीति: सीट बंटवारे की बातचीत में कांग्रेस अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए यह दबाव बना रही है कि वह तैयार है, चाहे गठबंधन में सहमति बने या न बने।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस यह संदेश भी देना चाहती है कि वह बिहार में पुनरुत्थान के लिए गंभीर है, न कि केवल औपचारिक भागीदार।
Rajesh Ram Bihar Elections में जनता की प्रतिक्रिया
बिहार के गया, सासाराम और सुपौल जिलों में कांग्रेस की इस घोषणा को मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है।
कुछ कार्यकर्ता इसे “सकारात्मक पहल” मानते हैं, जबकि महागठबंधन समर्थक मतदाता इसे “गठबंधन की कमजोरी” के रूप में देख रहे हैं।
गया के स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता ने कहा —
“राजेश राम जैसे नेताओं की उम्मीदवारी से जमीनी कार्यकर्ताओं को उत्साह मिला है। कांग्रेस फिर से फील्ड में नजर आ रही है।”
वहीं एक RJD कार्यकर्ता ने कहा —
“अगर सीट बंटवारा सही समय पर नहीं हुआ तो वोटों का नुकसान तय है।”
विश्लेषण: क्या कांग्रेस का कदम महागठबंधन को नुकसान पहुंचाएगा?
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. अजय कुमार सिंह का कहना है कि Rajesh Ram Bihar Elections में कांग्रेस का यह कदम “जोखिम भरा” जरूर है, लेकिन इससे पार्टी की मंशा साफ होती है कि वह संगठन को पुनर्जीवित करना चाहती है।
अगर महागठबंधन में समन्वय नहीं बन पाया तो विपक्षी वोटों में बिखराव होगा, जिसका सीधा फायदा बीजेपी-एनडीए को मिलेगा।
हालांकि, कांग्रेस का दावा है कि “यह सीट बंटवारे को लेकर जल्दबाजी नहीं बल्कि तैयारी का संकेत है।”
निष्कर्ष: महागठबंधन की एकता की परीक्षा
Rajesh Ram Bihar Elections अब केवल चुनावी मुकाबला नहीं, बल्कि गठबंधन की एकता की भी परीक्षा बन गया है। कांग्रेस की यह घोषणा बताती है कि पार्टी अब समझौते की प्रतीक्षा करने के बजाय अपनी राह खुद तय करने की तैयारी में है।
आने वाले कुछ दिनों में यह तय होगा कि क्या तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेतृत्व मिलकर कोई फॉर्मूला निकाल पाते हैं या बिहार का चुनाव एक बार फिर विपक्षी विखंडन का गवाह बनेगा।