UN में नेतन्याहू का बहिष्कार: खामेनेई का तीखा बयान
संयुक्त राष्ट्र महासभा के मंच पर इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाषण का बड़े पैमाने पर UN में नेतन्याहू का बहिष्कार किया गया। कई देशों के प्रतिनिधियों ने या तो उनकी स्पीच का बहिष्कार किया या फिर बीच में ही बाहर चले गए।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा, “यह इस बात का सबूत है कि इज़राइल अब वैश्विक राजनीति में सबसे ज्यादा अलग-थलग पड़ चुका है।”
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार: क्या हुआ महासभा में?
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नेतन्याहू जैसे ही पोडियम पर पहुंचे, कई अरब और मुस्लिम देशों के डिप्लोमैट्स हॉल से बाहर चले गए।
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लैटिन अमेरिका और अफ्रीका के कुछ प्रतिनिधियों ने भी चुपचाप बहिष्कार किया।
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कुछ यूरोपीय देशों के डेलीगेट्स ने हालांकि मौजूद रहकर अपना विरोध दर्ज कराया।
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार ने एक बार फिर यह संदेश दिया कि गाज़ा और वेस्ट बैंक में जारी संघर्ष ने इज़राइल की वैश्विक छवि को गहरा नुकसान पहुँचाया है।
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार: खामेनेई का बयान
खामेनेई ने अपने बयान में कहा:
“नेतन्याहू और उनका शासन दुनिया की नजरों में खून-खराबे और अत्याचार का प्रतीक बन चुका है। संयुक्त राष्ट्र में जो दृश्य दिखा, वह साबित करता है कि इज़राइल अब पहले जैसा प्रभावशाली नहीं रहा।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि UN में नेतन्याहू का बहिष्कार आने वाले समय में पश्चिम एशिया की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार: इज़राइल की प्रतिक्रिया
इज़राइल सरकार ने खामेनेई के तंज को “प्रोपेगेंडा” करार दिया।
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इज़राइली विदेश मंत्रालय ने कहा कि कई प्रमुख देश उनके साथ खड़े हैं।
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अमेरिका और जर्मनी जैसे सहयोगी देशों ने नेतन्याहू की स्पीच के दौरान उपस्थिति दर्ज कराई।
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इज़राइल का कहना है कि विरोध करने वाले देश “दोगलेपन” का शिकार हैं।
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार: अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर असर
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार का असर कई स्तरों पर देखा जा रहा है—
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अरब देशों में गुस्सा: गाज़ा युद्ध और फिलिस्तीनियों की मौतों पर नाराज़गी।
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यूरोप में बंटवारा: कुछ यूरोपीय देश इज़राइल का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ मानवाधिकार मुद्दों पर सवाल उठा रहे हैं।
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अमेरिका की दुविधा: अमेरिका नेतन्याहू का बचाव करता दिखा, लेकिन घरेलू दबाव झेल रहा है।
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार: फिलिस्तीन मुद्दे की गूंज
फिलिस्तीन मुद्दा इस बहिष्कार के केंद्र में रहा।
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फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों ने कहा कि यह कदम अंतरराष्ट्रीय समुदाय की वास्तविक राय को दर्शाता है।
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उन्होंने कहा कि इज़राइल की नीतियाँ “अपार्थाइड” जैसी हैं।
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UN में नेतन्याहू का बहिष्कार को फिलिस्तीन के समर्थन में बढ़ते वैश्विक माहौल की निशानी बताया जा रहा है।
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार: सोशल मीडिया पर चर्चा
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ट्विटर (X) पर #NetanyahuBoycott और #UNGA जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
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अरब देशों और यूरोप में लाखों लोगों ने इस घटना पर प्रतिक्रिया दी।
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भारतीय सोशल मीडिया पर भी UN में नेतन्याहू का बहिष्कार की खबर को लेकर बहस छिड़ गई
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार: आगे क्या?
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खामेनेई और ईरान इसे कूटनीतिक जीत के रूप में दिखा सकते हैं।
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इज़राइल आने वाले दिनों में अपने सहयोगियों के साथ और नजदीकी बढ़ा सकता है।
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संयुक्त राष्ट्र में इस घटना ने भविष्य की बहसों की दिशा तय कर दी है।
निष्कर्ष
UN में नेतन्याहू का बहिष्कार केवल एक डिप्लोमैटिक घटना नहीं है, बल्कि यह इज़राइल की मौजूदा वैश्विक स्थिति का प्रतीक भी है। खामेनेई का तंज और डेलीगेट्स का हॉल छोड़ना यह दिखाता है कि दुनिया के कई हिस्सों में इज़राइल को लेकर असंतोष गहराता जा रहा है। आने वाले दिनों में यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय राजनीति और पश्चिम एशिया की शांति प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाएगा।