डिजिटल अरेस्ट स्कैम का सबसे बड़ा खुलासा
दिल्ली में रिटायर्ड बैंकर बने शिकार
दिल्ली में साइबर अपराध का अब तक का सबसे बड़ा मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश को हिला दिया है। 72 वर्षीय रिटायर्ड बैंकर नरेश मल्होत्रा एक ऐसे घोटाले का शिकार बने, जिसने उनकी जीवनभर की बचत लूट ली। अपराधियों ने उन्हें 23 करोड़ रुपये से ठग लिया और यह पूरा मामला “डिजिटल अरेस्ट स्कैम” के नाम से चर्चित हो गया है।
नरेश मल्होत्रा ने पुलिस को बताया कि उन्हें अचानक एक कॉल आया, जिसमें सामने वाले ने खुद को एक सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताया। कॉल करने वाले ने आरोप लगाया कि उनका नाम एक अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग केस में सामने आया है। इतना सुनते ही वे घबरा गए और यहीं से उनकी जिंदगी की सबसे बड़ी ठगी शुरू हुई।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम कैसे काम करता है
डिजिटल अरेस्ट स्कैम एक बेहद खतरनाक और नई किस्म की साइबर ठगी है। इसमें अपराधी पीड़ित को फोन या वीडियो कॉल पर ‘गिरफ्तार’ कर लेते हैं।
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अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई, इंटरपोल या किसी बड़ी सरकारी एजेंसी का अफसर बताकर कॉल करते हैं।
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पीड़ित से कहा जाता है कि उनका नाम किसी बड़े अपराध जैसे ड्रग तस्करी, आतंकवाद फंडिंग या मनी लॉन्ड्रिंग में आया है।
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फिर वीडियो कॉल पर नकली ऑफिस, फर्जी वर्दी पहने अधिकारी और सरकारी मुहरें दिखाकर भरोसा दिलाया जाता है।
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पीड़ित को “डिजिटल अरेस्ट” में रखा जाता है। इसका मतलब है कि उन्हें लगातार वीडियो कॉल पर रखा जाता है और बाहर जाने या परिवार से बात करने तक से मना किया जाता है।
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डर और मानसिक दबाव बनाकर उनसे बैंक खाते, क्रेडिट कार्ड और निवेश से पैसा ट्रांसफर करवाया जाता है।
रिटायर्ड बैंकर की आपबीती
नरेश मल्होत्रा ने मीडिया से बातचीत में बताया,
“कॉल करने वाले ने कहा कि मेरा नाम ड्रग तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग केस में आया है। अगर मैंने सहयोग नहीं किया तो मुझे तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा और मेरी सारी संपत्ति जब्त हो जाएगी। उन्होंने मुझे कई दिनों तक एक वीडियो कॉल पर ‘कैद’ कर दिया। मैं न तो घर से बाहर जा सकता था, न ही परिवार से बात कर सकता था। डर और शर्मिंदगी में मैंने वही किया, जो उन्होंने कहा। इसी दौरान उन्होंने मुझसे 23 करोड़ रुपये अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करा लिए।”
उनके मुताबिक, अपराधियों ने उन्हें इस तरह दबाव में रखा कि उन्हें लगा जैसे सचमुच पुलिस उनके पीछे है।
पुलिस जांच और शुरुआती सुराग
दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने इस मामले को दर्ज कर लिया है और इसकी जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि कॉल विदेशी IP एड्रेस से किए गए थे। ठगों ने रकम को कई चरणों में क्रिप्टोकरेंसी और शेल कंपनियों के जरिए विदेश भेज दिया।
पुलिस का मानना है कि इसमें एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह शामिल है, जो भारत समेत कई देशों में सक्रिय है। इसके पहले भी ऐसे मामले सामने आए थे, लेकिन 23 करोड़ रुपये की ठगी अब तक का सबसे बड़ा केस है।
भारत में डिजिटल अरेस्ट स्कैम के बढ़ते मामले
साइबर सुरक्षा एजेंसियों के आंकड़े बताते हैं कि भारत में डिजिटल अरेस्ट स्कैम तेजी से बढ़ रहा है। NCRB की 2024 की रिपोर्ट के अनुसार देश में 65,000 से ज्यादा साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए, जिनमें करीब 18% मामले वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि 2025 में यह आंकड़ा और तेजी से बढ़ेगा, क्योंकि अपराधी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक तकनीक का भी इस्तेमाल करने लगे हैं। इससे नकली वीडियो और आवाज को पहचान पाना बेहद मुश्किल हो गया है।
मानसिक दबाव और डर की रणनीति
इस स्कैम की सबसे खतरनाक बात यह है कि इसमें पीड़ित को मानसिक रूप से तोड़ा जाता है।
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लगातार धमकी दी जाती है कि अगर पैसे नहीं दिए तो तुरंत गिरफ्तारी हो जाएगी।
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पासपोर्ट, बैंक खाते और संपत्ति जब्त करने की झूठी चेतावनी दी जाती है।
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पीड़ित को यह अहसास दिलाया जाता है कि वह अकेला है और परिवार को बताने पर और मुश्किल में पड़ जाएगा।
इसी डर और तनाव में फंसा व्यक्ति सही-गलत सोचने की स्थिति में नहीं रहता और ठगों की बातों में आकर अपनी पूरी बचत गवां बैठता है।
सरकार और एजेंसियों की चेतावनी
गृह मंत्रालय और साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने इस मामले के बाद लोगों को चेतावनी जारी की है।
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कोई भी सरकारी एजेंसी व्हाट्सऐप या वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी का आदेश नहीं देती।
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बैंक कभी भी ग्राहकों से OTP, PIN या अकाउंट डिटेल नहीं मांगते।
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अगर किसी को ऐसा कॉल आता है तो तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर या वेबसाइट cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करनी चाहिए।
आम लोगों के लिए सावधानियां
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किसी भी अजनबी कॉल या ईमेल पर भरोसा न करें।
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सरकारी एजेंसी अगर आपसे संपर्क करती है तो वह आधिकारिक नोटिस या लेटर भेजेगी।
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वीडियो कॉल या फोन पर किसी को भी बैंक डिटेल या पैसे ट्रांसफर न करें।
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डर और धमकी देने वाले कॉल को तुरंत काटें।
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परिवार या दोस्तों से तुरंत साझा करें ताकि आप अकेले न पड़ें।
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नियमित रूप से साइबर सुरक्षा से जुड़ी जानकारी और अपडेट्स पर ध्यान दें।
निष्कर्ष
दिल्ली का यह मामला साफ दिखाता है कि डिजिटल अरेस्ट स्कैम अब भारत के लिए नई चुनौती बन चुका है। यह सिर्फ वित्तीय ठगी नहीं बल्कि मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न का भी बड़ा उदाहरण है। रिटायर्ड बैंकर नरेश मल्होत्रा की आपबीती हर नागरिक के लिए चेतावनी है कि साइबर अपराधी लगातार नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं। इस ठगी से बचने का एक ही तरीका है — सतर्क रहना, जागरूक रहना और किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज पर तुरंत कार्रवाई करना।