Thursday, October 16, 2025
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एयर इंडिया क्रैश: SC ने पायलट एरर दावे को गैरजिम्मेदाराना बताया, केंद्र और DGCA से जवाब तलब

पायलट एरर दावा करने वाली AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने “अज़िम्मेदार” बताया है। जून 12 को हुए एयर इंडिया क्रैश की जांच में SC ने केंद्र और DGCA की ओर से जवाब तलब किया है। इस मामले ने मीडिया, सुरक्षा विशेषज्ञों और परिवारों में उठने वाले सवालों को और हवा दी है।

एयर इंडिया क्रैश: सुप्रीम कोर्ट ने पायलट एरर दावे को बताया गैरजिम्मेदाराना

नयी दिल्ली – पायलट एरर दावा को सुप्रीम कोर्ट ने आज एक गंभीर मसला बताते हुए कहा कि एयर इंडिया क्रैश (जून 12) की AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में पायलटों की गलती का अनुमान लगाना “अज़िम्मेदार” है। कोर्ट ने इस दावे पर केंद्र सरकार और DGCA को जवाब तलब किया है, साथ ही जोखिमों, तकनीकी दोषों और जानकारी के चयनित लीक होने की शिकायतों की जांच करने का निर्देश दिया है।

एयर इंडिया क्रैश और पायलट एरर को लेकर उठे सवाल

  • Aircraft Accident Investigation Bureau (AAIB) ने जुलाई में जून 12 के एयर इंडिया फ्लाइट AI171 क्रैश की प्रारंभिक रिपोर्ट जारी की थी। रिपोर्ट में यह उल्लेख है कि विमान ने टेकऑफ़ के तुरंत बाद “RUN” से “CUTOFF” पोजीशन में ईंधन नियंत्रण स्विच अचानक चले जाने के बाद दोनो इंजनों का थ्रस्ट खो दिया।

  • रिपोर्ट में को-पायलट और कप्तान के बीच एक वार्तालाप भी दर्ज है जिसमें एक पायलट ने पूछा, “Why did you cut off?”, और दूसरा जवाब देता है कि उसने “नहीं” किया।

  • रिपोर्ट यह तय नहीं करती कि स्विच deliberate (जानबूझकर) बदले गए हों या गलती से। सिस्टम दोष, विद्युत (electrical) गड़बड़ी, स्विच लॉकिंग यंत्र, और अन्य तकनीकी पहलुओं की भी जांच की जा रही है लेकिन अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है।

एयर इंडिया क्रैश पर सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

  • सुप्रीम कोर्ट की बेंच (न्यायमूर्ति सूर्य कांत एवं न्यायमूर्ति N. Kotiswar Singh) ने कहा कि AAIB की रिपोर्ट में पायलटों की कथित गलती की बात को इतनी जल्दी स्वीकार करना “अज़िम्मेदार” है।

  • कोर्ट ने यह भी कहा कि रिपोर्ट के हिस्सों का मीडिया में चयनित लीक होना “बहुत दुर्भाग्यपूर्ण” है क्योंकि इससे सार्वजनिक राय और आरोप लगाने का माहौल बन गया है।

  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, DGCA और AAIB से जवाब तलब किया है कि जांच निष्पक्ष, स्वतंत्र और शीघ्र हो। साथ ही कहा है कि जांच समिति में DGCA के सदस्यों की उपस्थिति संभावित conflict of interest उत्पन्न कर सकती है।

पायलट एरर दावा के विरोध में उठती आवाज़ें

  • NGO Safety Matters Foundation ने PIL दायर की है जिसमें कहा गया है कि AAIB की रिपोर्ट ने तकनीकी त्रुटियों, इलेक्ट्रॉनिक दोषों, स्विच लॉक की समस्या और विद्युत शक्ति नियंत्रण से जुड़े मुद्दों को पर्याप्त रूप से नहीं उठााया है।

  • शिकायत है कि रिपोर्ट ने Digital Flight Data Recorder (DFDR), Cockpit Voice Recorder (CVR) के पूर्ण ट्रांसक्रिप्ट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डिंग्स का हिस्सा सार्वजनिक नहीं किया, जिससे “पायलट एरर दावा” को बढ़ावा मिला।

  • परिवारों और सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि समय से पहले किसी भी निष्कर्ष पर पहुँचना न्यायोचित नहीं जब तकनीकी डेटा पूरी तरह से स्पष्ट नहीं हो।

एयर इंडिया क्रैश जांच में DGCA की भूमिका पर कोर्ट की नजर

  • DGCA और AAIB ने रिपोर्ट में कहा है कि यह प्रारंभिक रिपोर्ट है—पूरी जांच नहीं हुई है। अभी कई तकनीकी और न्यायिक पहलुओं की पुष्टि होनी बाकी है। (सूत्र: AAIB रिपोर्ट)

  • सरकार ने इस बात पर जोर दिया है कि जांच प्रक्रिया के दौरान गोपनीयता और संवेदनशील जानकारी का खुलासा करना समय से पहले उचित नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि कुछ डेटा (जैसे Flight Data Recorder) का जल्दबाज़ी में सार्वजनिक करना “अनुचित” हो सकता है।

पायलट एरर दावा: क्यों है यह मामला विवादित?

तकनीकी दोषों की संभावना

विज्ञापित रिपोर्ट के अनुसार स्विच सिस्टम में ऐसे दोषों के इशारे हैं जो कि लॉकिंग मैकेनिज्म से संबंधित हों सकते हैं; बिजली की आपूर्ति (electrical bus power), ram air turbine deployment आदि घटनाएँ ऐसी हैं जो संकेत दे रही हैं कि संभावना सिर्फ मानवीय त्रुटि नहीं है।

मीडिया में चयनित सूचना का खुलासा

रिपोर्ट जारी होने से पहले कुछ जानकारी मीडिया में लीक हुई, जिससे पायलटों पर दोषारोपण का शुरुआती नरेटिव बन गया। सुप्रीम कोर्ट इस तरह की “चुनी हुई” जानकारी को लेकर चिंतित है कि वह जांच की निष्पक्षता को प्रभावित कर सकती है।

एयर इंडिया क्रैश के बाद पीड़ित परिवारों की चिंताएँ

घटना से प्रभावित लोगों और आम जनता का दावा है कि यदि पूरी जानकारी नहीं साझा की गई, या यदि जांच समिति में अपेक्षित स्वतंत्रता नहीं होगी, तो यह न्याय की प्रक्रिया और सार्वजनिक भरोसे के लिए खतरनाक होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में स्वच्छता सुनिश्चित करने की बात कही है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश और आगे की जांच

  • कोर्ट ने केंद्र सरकार, DGCA और AAIB को नोटिस जारी कर पूछा है कि वे इस PIL में उठाए गए सभी सवालों का जवाब दें। जांच पूरी तरह से स्वतंत्र, निष्पक्ष और त्वरित होनी चाहिए।

  • अदालत ने कहा है कि गोपनीय डेटा जैसे DFDR/Flight Recorder का प्रबंधन संवेदनशील है, और अभी सार्वजनिक करना नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

  • साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि जांच समिति में शामिल उन लोगों की भूमिका की समीक्षा हो, जिनका DGCA से संबंध है, ताकि संभावित हित संघर्ष (conflict of interest) न हो।

निष्कर्ष: पायलट एरर दावा कितना न्यायसंगत?

पायलट एरर दावा अभी पूरी तरह से पुष्ट नहीं हुआ है। प्रारंभिक रिपोर्ट ने संभावनाओं को उठाया है, लेकिन दोषारोपण करना अभी जल्दबाज़ी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह के निष्कर्षों को “अज़िम्मेदार” बताया है और बेहतर जांच, अधिक पारदर्शिता और तकनीकी साक्ष्यों के पूर्ण खुलासे की मांग की है।

यह मामला सिर्फ एक उड़ान दुर्घटना का नहीं है, बल्कि विमानन सुरक्षा, सार्वजनिक विश्वास और नियामक संस्थाओं की विश्वसनीयता से जुड़ा है। आगे की रिपोर्ट से स्पष्ट हो पाएगा कि क्या यह घटना मानवीय भूल थी, तकनीकी दोष, डिजाइन समस्या, या इन सबका मिला-जुला असर।

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