पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता: शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस के बीच बड़ी डील, भारत ने कहा– करेंगे निहितार्थों का अध्ययन
पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता क्या है?
पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता (Pakistan-Saudi Defence Deal) 2025 में क्षेत्रीय राजनीति के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इस ऐतिहासिक रक्षा सहयोग करार पर हस्ताक्षर किए। भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह “इस समझौते के निहितार्थों का अध्ययन करेगा।”
भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह इस समझौते के निहितार्थों का अध्ययन करेगा और क्षेत्रीय सुरक्षा के संदर्भ में इसका मूल्यांकन किया जाएगा।
पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता: करार की अहमियत
इस रक्षा समझौते में सुरक्षा सहयोग, सैन्य प्रशिक्षण, तकनीकी आदान-प्रदान और संयुक्त सैन्य अभ्यास जैसी महत्वपूर्ण धाराएं शामिल हैं।
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पाकिस्तान को सऊदी अरब से रक्षा उपकरण और वित्तीय सहयोग मिल सकता है।
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सऊदी अरब पाकिस्तान के साथ मिलकर आतंकवाद और क्षेत्रीय अस्थिरता से लड़ने की रणनीति बना सकता है।
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दोनों देशों ने खाड़ी और दक्षिण एशिया क्षेत्र में शांति और स्थिरता कायम करने की बात कही।
👉 विशेषज्ञों का मानना है कि यह पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता पाकिस्तान के लिए आर्थिक और सामरिक दृष्टि से बेहद अहम है।
शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस की भूमिका
इस समझौते में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि यह साझेदारी पाकिस्तान की रक्षा क्षमता को और मजबूत करेगी। वहीं सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने इसे “दोनों देशों के बीच भाईचारे और भरोसे की मिसाल” बताया।
उन्होंने कहा कि “सऊदी अरब हमेशा पाकिस्तान के साथ खड़ा रहेगा और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग आगे भी बढ़ेगा।”
पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता और भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार ने इस समझौते पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा:
“हम पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौते की जानकारी में हैं और इसके निहितार्थों का अध्ययन करेंगे। भारत अपने राष्ट्रीय हितों और क्षेत्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसका मूल्यांकन करेगा।”
भारत का संकेत साफ है कि वह इस समझौते को हल्के में नहीं लेगा। चूंकि पाकिस्तान और भारत के बीच दशकों से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं, इसलिए इस रक्षा डील का असर क्षेत्रीय संतुलन पर पड़ सकता है।
पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता: क्षेत्रीय राजनीति पर असर
इस समझौते के बाद क्षेत्रीय राजनीति में कई बदलाव संभावित हैं–
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भारत-पाकिस्तान संबंध: यह डील भारत-पाक संबंधों में नई तल्खी ला सकती है।
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चीन की भूमिका: पाकिस्तान का चीन के साथ पहले से मजबूत सामरिक रिश्ता है, अब सऊदी सहयोग से उसका रक्षा ढांचा और मज़बूत हो सकता है।
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ईरान-सऊदी संबंध: सऊदी अरब और ईरान के बीच पहले से तनाव है, ऐसे में पाकिस्तान के साथ यह डील क्षेत्रीय समीकरणों को और पेचीदा बना सकती है।
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अमेरिका और पश्चिमी देशों की नजर: अमेरिका और यूरोपीय देश इस समझौते को मध्य पूर्व की राजनीति के लिहाज से बेहद गंभीरता से देखेंगे।
पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता और पाकिस्तान की आर्थिक मजबूरी
पाकिस्तान फिलहाल गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। IMF से बेलआउट पैकेज मिलने के बावजूद उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार बेहद कम है। इस स्थिति में सऊदी अरब से रक्षा सहयोग और वित्तीय मदद पाकिस्तान को स्थिरता देने में अहम साबित हो सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता पाकिस्तान के लिए “आर्थिक सहारे” की तरह भी काम करेगा।
पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता और भारतीय सुरक्षा चिंताएं
भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता यह है कि पाकिस्तान इस समझौते का इस्तेमाल अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में करेगा।
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पाकिस्तान पहले ही चीन से अत्याधुनिक हथियार खरीदता रहा है।
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अब सऊदी सहयोग से उसे अतिरिक्त तकनीकी और आर्थिक मदद मिल सकती है।
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इससे भारत की पश्चिमी सीमा पर सुरक्षा चुनौतियां और बढ़ सकती हैं।
निष्कर्ष
पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता केवल दो देशों का करार नहीं बल्कि दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व की रणनीतिक राजनीति का अहम मोड़ है। पाकिस्तान इसे अपनी मजबूरी और अवसर दोनों मान रहा है, जबकि सऊदी अरब के लिए यह करार क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने का माध्यम है।
भारत के लिए यह समझौता भविष्य की सुरक्षा रणनीतियों को नए सिरे से परिभाषित करने का संकेत है। आने वाले समय में यह डील क्षेत्रीय शक्ति संतुलन पर गहरा असर डाल सकती है।