मुर्ताज़ा निर्णय: अंतरिम राहत मिली अभिनेत्री को
Aishwarya Rai Bachchan Personality Rights Case में दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को अभिनेत्री को बड़ी राहत दी। अदालत ने कहा कि बिना अनुमति उनके नाम, तस्वीर, आवाज़ और व्यक्तित्व का किसी भी व्यावसायिक या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। यह आदेश AI-generated सामग्री, डीपफेक वीडियो, फर्जी विज्ञापन और मर्चेंडाइज पर भी लागू होगा।
क्या कहा गया आदेश में?
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न्यायालय ने कहा कि गोOGLE सहित ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों को उन URLs को 72 घंटे के भीतर हटाने, ब्लॉक करने और डिसेबल करने का निर्देश दिया है जो अभिनेत्री की पहचान का दुरुपयोग कर रहे हैं।
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सरकार के संबंधित विभाग—इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) तथा दूरसंचार विभाग—को भी ऐसे URL को ब्लॉक करने के निर्देश देने को कहा गया है।
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कोर्ट ने विशेष रूप से ‘AI-निर्मित (deepfake, morphing) सामग्री’, फर्जी कॉमर्शियल उत्पाद जैसे टी-शर्ट, मग आदि और व्यवसायिक प्रतिष्ठानों द्वारा उनके प्रति endorsement बताने वाली झूठी सूचनाओं पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया।
न्यायिक दृष्टिकोण और अधिकारों की रक्षा
न्यायमूर्ति चमड़ी ने रेखांकित किया कि किसी प्रसिद्ध हस्ती की पहचान उसके नाम, स्वर, चेहरे या व्यक्तित्व के अन्य लक्षणों का बिन अनुमति उपयोग सिर्फ आर्थिक हानि नहीं करता, बल्कि उनकी गरिमा (dignity) और प्रसिद्धि (goodwill) को भी प्रभावित करता है। ऐसा उपयोग जनता में भ्रम पैदा कर सकता है कि हस्ती ने endorsement किया हो।
अदालत ने कहा कि अभिनेत्री ने अपना prima facie case स्थापित किया है, और “balance of convenience” यानी सुविधा पक्ष भी उनके झुकाव में है, इसलिए अंतरिम कदम उठाना न्यायोचित है।
अभिनेत्री के वकील द्वारा दी गई जानकारी
Senior Advocate Sandeep Sethi ने अदालत को बताया कि अनेक वेबसाइटें उनके क्लाइंट की अनुमति के बिना उनके नाम, तस्वीरें और झूठे/AI-निर्मित/मॉर्फ़ की हुई सामग्री का उपयोग कर रही हैं। गंभीर आपत्तियाँ उत्पन्न हुई हैं जैसे:
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AI-उत्पन्न अश्लील या यौन सामग्री जिसमें उनका चेहरा morph किया गया हो।
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“Aishwarya Nation Wealth” नामक एक फर्म ने उन्हें चेयरपर्सन बताया, जबकि उनका कोई संबंध नहीं था।मर्चेंडाइज जैसे मग, कपड़े आदि पर उनकी फोटो या नाम का उपयोग बिना अनुमति के किया गया
Digital तंत्र और celebrity सुरक्षा
यह मामला डिज़िटल मीडिया और AI के बढ़ते उपयोग की चुनौतियों का प्रतीक है। आज की दुनिया में Deepfake, face morphing और गैर-कानूनी endorsement जैसी चीजें तेजी से फैल रही हैं। अदालतों की जिम्मेदारी है कि वे इन तकनीकों के दुरुपयोग से नागरिकों की निजता और प्रतिष्ठा की रक्षा करें।
अगली सुनवाई और अपेक्षित परिणाम
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अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 15 जनवरी, 2026 तय की है।
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अंतरिम आदेश लागू रहेंगे, जब तक कि एक स्थायी निर्णय नहीं आता।
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इसके तहत, कोर्ट ने कहा है कि सबूतों के आधार पर अन्य URL की पहचान और ब्लॉकिंग जारी रह सकती है, साथ ही दोषियों को पहचानने के लिए subscriber information उपलब्ध कराना होगा।
महत्व और संदेश
यह निर्णय एक बड़े सन्देश जैसा है—सेलिब्रिटी पीड़ित हों या आम व्यक्ति, किसी की पहचान का इस्तेमाल उनकी सहमति के बिना करने का अधिकार किसी के पास नहीं है। समाज में यह मामले इस बात की सचेतना बढ़ाते हैं कि डिजिटल दुनिया में भी व्यक्ति की गरिमा और निजता सर्वोपरि है।