नेपाल की राजनीति में नया बवाल
नेपाल की राजनीति इस समय उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। देश में जारी Gen-Z आंदोलन लगातार जोर पकड़ रहा है और सरकार के खिलाफ गुस्सा सड़कों पर साफ दिखाई दे रहा है। इस बीच, नेपाल की विदेश मंत्री आरजू देउबा पर प्रदर्शनकारियों ने हमला किया, उन्हें लात-घूसों से पीटा गया और इस घटना के बाद से वह सार्वजनिक मंच से गायब हैं।
आरजू देउबा की अचानक गैर-मौजूदगी ने राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है। सरकार पर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर विदेश मंत्री कहां हैं और उनकी सुरक्षा को लेकर इतना बड़ा लापरवाह रवैया क्यों अपनाया गया।
हमले की पूरी कहानी
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा हाल ही में उस समय फूट पड़ा जब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के खिलाफ बड़े स्तर पर प्रदर्शन हो रहे थे। इन्हीं प्रदर्शनों में विदेश मंत्री आरजू देउबा भी विरोध का शिकार बनीं।
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भीड़ ने उन पर हमला किया और लात-घूसों से पीटा।
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सोशल मीडिया पर घटना के वीडियो तेजी से वायरल हुए।
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इस हमले ने न केवल नेपाल की राजनीति बल्कि अंतरराष्ट्रीय जगत को भी चौंका दिया।
हमले के बाद से आरजू देउबा सार्वजनिक जीवन से गायब हो गई हैं। न वह किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में नजर आईं, न ही किसी अंतरराष्ट्रीय बैठक में।
आरजू देउबा कौन हैं?
नेपाल की विदेश मंत्री आरजू देउबा सिर्फ एक मंत्री ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं।
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वह नेपाल कांग्रेस पार्टी की वरिष्ठ नेता हैं।
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पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा की पत्नी हैं।
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सामाजिक कार्यों से राजनीति में आईं और धीरे-धीरे पार्टी की अहम नेता बनीं।
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मौजूदा सरकार में उन्हें विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई थी।
उनकी गैर-मौजूदगी को लेकर जनता और विपक्ष दोनों ही लगातार सवाल उठा रहे हैं।
गायब होने पर उठे सवाल
हमले के बाद से आरजू देउबा किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में नहीं दिखीं। इससे अटकलों का बाजार गर्म है।
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कुछ सूत्रों का दावा है कि वह स्वास्थ्य कारणों से आराम कर रही हैं।
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दूसरी ओर विपक्ष का आरोप है कि सरकार विदेश मंत्री की वास्तविक स्थिति को छुपा रही है।
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लोगों का मानना है कि अगर वह सुरक्षित हैं तो सार्वजनिक तौर पर सामने क्यों नहीं आ रही हैं।
यह रहस्य और गहराता जा रहा है क्योंकि न तो सरकार की ओर से कोई स्पष्ट बयान आया है और न ही आरजू देउबा ने खुद कुछ कहा है।
नेपाल की राजनीति पर असर
आरजू देउबा के लापता होने से नेपाल की राजनीति में कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं।
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विपक्षी दल इसे सरकार की नाकामी बता रहे हैं।
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जनता का गुस्सा सरकार पर और भड़क रहा है।
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सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।
नेपाल पहले से ही राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा है और यह घटना आग में घी डालने का काम कर रही है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर असर
नेपाल की विदेश मंत्री की गैर-मौजूदगी केवल घरेलू स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता का विषय है।
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भारत, चीन और अन्य पड़ोसी देश नेपाल की राजनीतिक स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।
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विदेश मंत्री के अचानक लापता होने से नेपाल की विदेश नीति पर असर पड़ना तय है।
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अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नेपाल की भागीदारी कमजोर हो सकती है।
कूटनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय में जब नेपाल को वैश्विक साझेदारी की जरूरत है, विदेश मंत्री का गायब होना उसकी छवि को नुकसान पहुंचा रहा है।
सरकार पर बढ़ता दबाव
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार पहले ही जनता के गुस्से का सामना कर रही है। अब विदेश मंत्री की गैर-मौजूदगी ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
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विपक्ष लगातार संसद और सड़कों पर प्रदर्शन कर रहा है।
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आरजू देउबा की सुरक्षा और स्थिति पर सरकार से जवाब मांगा जा रहा है।
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जनता भी सोशल मीडिया पर सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रही है।
अगर यह संकट जल्दी नहीं सुलझा, तो यह नेपाल की सरकार के लिए एक बड़ा राजनीतिक संकट साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
नेपाल की विदेश मंत्री आरजू देउबा पर प्रदर्शनकारियों का हमला और फिर उनका अचानक गायब हो जाना, नेपाल की राजनीति में भूचाल ले आया है। उनकी गैर-मौजूदगी ने न केवल जनता और विपक्ष को बेचैन कर दिया है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी नेपाल की छवि को प्रभावित किया है।
सरकार के लिए यह स्थिति बेहद कठिन है क्योंकि एक ओर जनता सड़कों पर है और दूसरी ओर विदेश मंत्री का रहस्य और गहराता जा रहा है। आने वाले दिनों में यह घटना नेपाल की राजनीति और विदेश नीति दोनों को गहराई से प्रभावित कर सकती है।