नेपाल Gen Z प्रदर्शन: काठमांडू में हिंसा और Shoot-at-sight आदेश ने पूरे देश को हिला दिया है। सोशल मीडिया प्रतिबंध और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगाए गए नियंत्रणों के खिलाफ शुरू हुआ यह विरोध अब हिंसक रूप ले चुका है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों घायल बताए जा रहे हैं।
नेपाल Gen Z प्रदर्शन: क्यों भड़का काठमांडू में विरोध और Shoot-at-sight आदेश?
नेपाल सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कड़े प्रतिबंध लगाए। सरकार का तर्क था कि सोशल मीडिया पर गलत सूचना और अफवाहें देश में अस्थिरता फैला रही हैं। लेकिन युवा पीढ़ी, खासकर Gen Z, ने इसे लोकतंत्र और स्वतंत्रता पर हमला मानते हुए इसका विरोध शुरू किया।
इंटरनेट और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पले-बढ़े युवाओं के लिए यह प्रतिबंध अस्वीकार्य था। उन्होंने ऑनलाइन अभियान चलाया और फिर सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए।
नेपाल Gen Z प्रदर्शन: काठमांडू कैसे बना हिंसा का केंद्र?
राजधानी काठमांडू इस आंदोलन का मुख्य केंद्र बन गई। हजारों प्रदर्शनकारियों ने सोशल मीडिया प्रतिबंध हटाने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहाल करने की मांग की। भीड़ ने कई सरकारी दफ्तरों के बाहर धरना-प्रदर्शन किया। लेकिन धीरे-धीरे स्थिति बेकाबू हो गई।
नेपाल Gen Z प्रदर्शन: हिंसा, पुलिस कार्रवाई और Shoot-at-sight आदेश
सोमवार को हालात तब बिगड़े जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड तोड़कर सरकारी इमारतों की ओर बढ़ना शुरू किया। पुलिस ने पहले लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया, लेकिन जब भीड़ और आक्रामक हुई तो गोलीबारी शुरू कर दी गई।
अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस को “Shoot-at-sight” यानी देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए। इस कार्रवाई में कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए।
नेपाल Gen Z प्रदर्शन: प्रशासन के सख्त कदम और कर्फ्यू
नेपाल सरकार ने काठमांडू में कर्फ्यू लागू कर दिया है। सेना को भी तैनात किया गया है और इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गई हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम जन सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी था।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, “हमारे पास Shoot-at-sight आदेश देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था क्योंकि स्थिति बेकाबू हो चुकी थी। यह कदम नागरिकों की सुरक्षा के लिए लिया गया।”
नेपाल Gen Z प्रदर्शन: प्रदर्शनकारियों की नाराज़गी और लोकतंत्र पर सवाल
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार उनकी आवाज़ दबा रही है। उनका आरोप है कि सोशल मीडिया बैन और कठोर कार्रवाई यह साबित करती है कि लोकतंत्र खतरे में है। कई छात्र संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने पुलिस की गोलीबारी की निंदा की और इसे बर्बर कार्रवाई करार दिया।
नेपाल Gen Z प्रदर्शन: अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और मानवाधिकार चिंताएँ
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस घटना की गूंज सुनाई दी है। संयुक्त राष्ट्र और कई मानवाधिकार संगठनों ने नेपाल सरकार से संयम बरतने की अपील की है। उनका कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है और Shoot-at-sight आदेश स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं।
नेपाल Gen Z प्रदर्शन: भविष्य की स्थिति और सरकार की चुनौती
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंदोलन जल्दी शांत नहीं होगा। युवाओं की बढ़ती नाराज़गी और सरकार की कठोर नीति देश को गहरे राजनीतिक संकट में धकेल सकती है। यदि सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच संवाद की शुरुआत नहीं होती है, तो हिंसा और बढ़ सकती है।
निष्कर्ष
नेपाल Gen Z प्रदर्शन: काठमांडू में हिंसा और Shoot-at-sight आदेश ने नेपाल की लोकतांत्रिक साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 14 लोगों की मौत और राजधानी में कर्फ्यू ने यह साफ कर दिया है कि देश गंभीर संकट से गुजर रहा है। अब यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह नागरिकों से संवाद कर लोकतांत्रिक माहौल बहाल करे या कठोर रवैये से और टकराव को जन्म दे।