KA Sengottaiyan Sacked from AIADMK: पार्टी एकता के लिए निष्कासित नेताओं की पुनः प्रवेश मांग पर बड़ा कदम
चेन्नई, 6 सितंबर 2025:
AIADMK के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री KA Sengottaiyan को पार्टी से तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है। यह निर्णय उनके द्वारा पार्टी एकता के लिए निष्कासित नेताओं, जिनमें V.K. Sasikala और O. Panneerselvam (OPS) शामिल हैं, को पुनः प्रवेश दिलाने की मांग के बाद लिया गया। सेंगोट्टैयन ने पार्टी महासचिव Edappadi K. Palaniswami (EPS) को 10 दिन का अल्टीमेटम देते हुए कहा था कि यदि पार्टी एकजुट नहीं हुई, तो आगामी 2026 तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में पार्टी को नुकसान होगा।
सेंगोट्टैयन का एलान और पार्टी में असंतोष
KA Sengottaiyan ने स्पष्ट कहा कि AIADMK की जीत तभी संभव है जब सभी निष्कासित नेताओं को फिर से पार्टी में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि वर्तमान नेतृत्व में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच भ्रम और असंतोष बढ़ रहा है। इस बयान के बाद पार्टी के भीतर मतभेद और भी गहराए।
पार्टी प्रवक्ता ने इस कदम को “पार्टी आंतरिक निर्णय” बताते हुए कहा कि महासचिव EPS का निर्णय अंतिम है। वहीं, सेंगोट्टैयन के समर्थक और कई स्थानीय कार्यकर्ताओं ने उनके निष्कासन का विरोध किया और पार्टी कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन किया।
निष्कासित नेताओं का समर्थन
सेंगोट्टैयन की मांग को निष्कासित नेताओं ने समर्थन दिया है।
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O. Panneerselvam ने कहा कि पार्टी को अपने पुराने नेताओं की भूमिका को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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V.K. Sasikala ने इस कदम को पार्टी की “अम्मा विरासत” को बचाने की दिशा में आवश्यक बताया।
विशेषज्ञों का मानना है कि सेंगोट्टैयन का निष्कासन AIADMK में अंदरूनी मतभेद को और उजागर करता है। यह कदम पार्टी के लिए राजनीतिक चुनौती बन सकता है, खासकर जब अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।
राजनीतिक विश्लेषण
AIADMK की वर्तमान नेतृत्व रणनीति को लेकर राजनीतिक विशेषज्ञों की राय है कि EPS ने सेंगोट्टैयन को हटाकर पार्टी में अनुशासन बनाए रखने की कोशिश की है। वहीं, सेंगोट्टैयन का कदम यह दर्शाता है कि पार्टी में कई कार्यकर्ता और पुराने नेता एकजुटता के पक्ष में हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि निष्कासित नेताओं को पुनः प्रवेश नहीं दिया गया, तो यह AIADMK के लिए आगामी चुनाव में DMK और अन्य प्रतिद्वंद्वियों के लिए अवसर पैदा कर सकता है। यह पार्टी के भीतर राजनीतिक संतुलन और मतभेदों पर एक गंभीर संकेत है।
समर्थकों और विरोधियों की प्रतिक्रिया
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समर्थक: सेंगोट्टैयन के समर्थक उनका निर्णय “साहसिक और पार्टी के लिए हितकारी” बता रहे हैं।
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विरोधी: पार्टी के विरोधियों का कहना है कि यह कदम “नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह” के समान है।
सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से चर्चा में है। कई उपयोगकर्ताओं ने सेंगोट्टैयन के समर्थन में पोस्ट शेयर किए हैं, जबकि कुछ ने पार्टी नेतृत्व के निर्णय को सही ठहराया।
निष्कर्ष
KA Sengottaiyan sacked from AIADMK इस घटना ने तमिलनाडु की राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है। यह कदम पार्टी के भीतर मतभेदों और नेतृत्व रणनीति को उजागर करता है। आगामी विधानसभा चुनावों में AIADMK की रणनीति और पार्टी एकता इस स्थिति में निर्णायक भूमिका निभाएगी।
सेंगोट्टैयन का निष्कासन यह स्पष्ट करता है कि AIADMK के लिए चुनौती अब केवल विपक्ष से नहीं बल्कि खुद के भीतर भी है। आगामी महीनों में यह देखना रोचक होगा कि पार्टी नेतृत्व इस संकट को कैसे संभालता है और क्या निष्कासित नेताओं की पुनः प्रवेश की प्रक्रिया शुरू होती है।