आज यानी 5 सितंबर 2025 को विवेक अग्निहोत्री की बहुप्रतीक्षित फिल्म The Bengal Files (द बंगाल फाइल्स) सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई है। फिल्म 1946 के डायरेक्ट एक्शन डे और उसके बाद भड़के बंगाल दंगों पर आधारित है, जिसमें हजारों लोगों की जान गई और लाखों को पलायन करना पड़ा।
रिलीज़ के साथ ही फिल्म सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में चर्चा का केंद्र बन गई है। जहां एक ओर इसे “इतिहास की सच्चाई उजागर करने वाली फिल्म” कहा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर इसके खिलाफ विरोध और सेंसरशिप की बहस भी जारी है।
कहानी और पृष्ठभूमि
The Bengal Files का प्लॉट 1946 के कोलकाता और नोआखली दंगों के इर्द-गिर्द घूमता है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ब्रिटिश हुकूमत की नीतियों और राजनीतिक टकरावों ने साम्प्रदायिक आग को हवा दी।
फिल्म के जरिए निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि इतिहास की अनकही कहानियों को सामने लाना जरूरी है, चाहे वे कितनी भी असहज क्यों न हों।
रिलीज़ से पहले ही विवाद
फिल्म रिलीज़ से पहले ही विवादों में फंस गई थी।
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कोलकाता में ट्रेलर लॉन्च कार्यक्रम को पुलिस ने प्रशासनिक अनुमति का हवाला देकर रोक दिया। अभिनेत्री पल्लवी जोशी ने इसे “लोकतंत्र पर हमला” बताया।
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विवेक अग्निहोत्री ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस थिएटर मालिकों को फिल्म दिखाने से रोक रही है।
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सेंसर बोर्ड ने फिल्म को A सर्टिफिकेट दिया, लेकिन इसमें कई कट और संशोधन की शर्तें जोड़ी गईं।
कानूनी लड़ाई
फिल्म पर एक और विवाद उस समय खड़ा हुआ जब स्वतंत्रता सेनानी गोपाल पत्ता के पोते ने कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनका कहना है कि फिल्म में उनके दादा का चित्रण अपमानजनक और गलत तरीके से किया गया है। अदालत ने इस पर सुनवाई शुरू कर दी है।
दर्शकों की प्रतिक्रिया
रिलीज़ के पहले ही दिन सोशल मीडिया पर फिल्म को लेकर जबरदस्त चर्चा हो रही है।
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कई दर्शकों ने इसे “डिस्टर्बिंग लेकिन सच दिखाने वाली फिल्म” कहा।
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कुछ ने लिखा कि फिल्म की कहानी उन्हें भावनात्मक रूप से झकझोर देती है।
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वहीं, आलोचकों का एक वर्ग मानता है कि फिल्म में इतिहास को राजनीतिक नज़रिए से प्रस्तुत किया गया है।
बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती, जो फिल्म का हिस्सा भी हैं, ने कहा:
“जब आप सच्चाई दिखाते हैं तो उसे राजनीतिक कहा जाता है, लेकिन सच्चाई दिखाना ही इस फिल्म का मकसद है।”
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव
फिल्म की रिलीज़ को लेकर विदेशों में भी उत्सुकता रही। हालांकि, सेंसरशिप और प्रशासनिक कारणों से 5 देशों में इसकी रिलीज़ स्थगित करनी पड़ी। बावजूद इसके, जहां-जहां फिल्म दिखाई गई वहां दर्शकों ने इसे “हार्ड-हिटिंग” और “इंटेंस” बताया।
राजनीतिक बयानबाज़ी
रिलीज़ के साथ ही फिल्म राजनीति का मुद्दा भी बन गई है।
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विपक्षी दलों ने कहा कि फिल्म इतिहास का इस्तेमाल कर “राजनीतिक ध्रुवीकरण” की कोशिश कर रही है।
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भाजपा नेताओं ने विवेक अग्निहोत्री का समर्थन करते हुए कहा कि The Bengal Files जैसे प्रयास जरूरी हैं क्योंकि “सत्य को दबाया नहीं जाना चाहिए।”
क्यों खास है यह फिल्म?
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1946 के बंगाल दंगों पर आधारित पहली हिंदी फिल्म।
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इतिहास की अनकही और अनदेखी कहानियों को पर्दे पर लाना।
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विवेक अग्निहोत्री की पिछली फिल्म The Kashmir Files की तरह यह भी समाज में गहरी बहस पैदा कर रही है।
निष्कर्ष
आज रिलीज़ हुई The Bengal Files सिर्फ एक फिल्म नहीं बल्कि इतिहास और वर्तमान राजनीति के बीच पुल का काम कर रही है। यह फिल्म हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने अतीत की त्रासदियों से वाकई सबक ले पाए हैं।
हालांकि फिल्म विवादों और कानूनी चुनौतियों में घिरी हुई है, लेकिन इतना तय है कि इसने भारतीय सिनेमा और समाज में एक नई बहस छेड़ दी है।