पंजाब में बाढ़ ने छीनी रोज़ी-रोटी, बिहार के मजदूर अब दिल्ली-हरियाणा की राह पर
Punjab Floods 2025 से बढ़ा रोजगार संकट
पंजाब में आई भयंकर बाढ़ ने किसानों और मजदूरों की जिंदगी को अस्त-व्यस्त कर दिया है। खेतों में खड़ी धान और कपास की फसलें पूरी तरह जलमग्न हो गई हैं, कई गांवों में पानी अभी भी भरा हुआ है और हजारों परिवार विस्थापित होकर अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं। बाढ़ की सबसे बड़ी मार प्रवासी मजदूरों पर पड़ी है, जो खेती और निर्माण कार्य पर निर्भर थे। Punjab Floods 2025 ने उनके लिए रोजगार की डोर तोड़ दी है।
पंजाब लंबे समय से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के मजदूरों के लिए रोज़गार का बड़ा केंद्र रहा है। हर साल लाखों प्रवासी किसान मजदूरी, ईंट-भट्टों, मंडियों और निर्माण कार्य में काम करने पंजाब आते रहे हैं। लेकिन इस बार बाढ़ की तबाही ने स्थिति को पूरी तरह बदल दिया है।
खेतों में तबाही, मजदूरों की मजबूरी
बाढ़ के चलते पंजाब के अधिकांश जिलों में धान की फसल बर्बाद हो चुकी है। किसान खुद आर्थिक संकट में हैं, ऐसे में मजदूरों को काम देने की स्थिति में नहीं हैं। जिन ईंट-भट्टों और फैक्ट्रियों में मजदूर काम करते थे, वहां भी पानी घुस जाने से उत्पादन रुक गया है।
गुरदासपुर, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला और तरनतारन जैसे जिलों में मजदूरों को अपने परिवार के साथ पलायन करना पड़ा है। कई मजदूरों ने बताया कि उनके पास अब न काम है, न रहने की जगह। मजबूर होकर वे अपने गांव लौट रहे हैं।
पटना के एक मजदूर ने बताया – “हम हर साल धान की कटाई के समय पंजाब आते थे, लेकिन इस बार खेत डूब गए हैं। किसान खुद परेशान हैं। हमें खाने और रहने की भी समस्या हो गई, इसलिए अब दिल्ली और हरियाणा जाना पड़ रहा है।”
बिहार लौटते प्रवासी, नई मंज़िल दिल्ली-हरियाणा
पंजाब से खाली हाथ लौट रहे ये प्रवासी मजदूर अब बिहार में रहकर गुज़ारा नहीं कर पा रहे हैं। गांवों में पहले से ही काम की कमी है। इसी वजह से उनकी नजर अब दिल्ली और हरियाणा की ओर है।
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दिल्ली में निर्माण कार्य लगातार चल रहा है। यहां मजदूरों को दिहाड़ी पर तुरंत काम मिलने की संभावना है।
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हरियाणा के औद्योगिक इलाके जैसे गुरुग्राम, फरीदाबाद, मानेसर और पानीपत में टेक्सटाइल और ऑटोमोबाइल फैक्ट्रियों की बड़ी मांग है, जो मजदूरों को काम दे सकती हैं।
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कई मजदूर अब सीधे ट्रेनों और बसों से बिहार की जगह दिल्ली-हरियाणा का रुख कर रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह पलायन आने वाले समय में पंजाब की अर्थव्यवस्था को और कमजोर करेगा। यदि प्रवासी मजदूर वापस नहीं लौटे, तो आने वाले सीजन में खेती और अन्य कार्य प्रभावित होंगे।
प्रशासन से त्वरित मदद और पुनर्वास की मांग
बाढ़ से प्रभावित लोगों की मदद के लिए पंजाब सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा की है, लेकिन मजदूरों तक यह मदद कितनी पहुंचेगी, इस पर सवाल उठ रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस नेताओं ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों से त्वरित राहत और मुआवजा देने की मांग की है।
हरियाणा और राजस्थान से कई संगठन राहत सामग्री भेज रहे हैं। लेकिन मजदूर संगठनों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है। प्रवासी मजदूरों को तुरंत काम और रहने की सुविधा दिए बिना उनका पलायन रोकना मुश्किल होगा।
प्रवासी पलायन से बदलता सामाजिक परिदृश्य
पंजाब की अर्थव्यवस्था में प्रवासी मजदूरों का योगदान हमेशा अहम रहा है। चाहे कृषि का क्षेत्र हो या उद्योग और सेवा सेक्टर—बिहार और यूपी के मजदूरों ने पंजाब की प्रगति में बड़ी भूमिका निभाई है। लेकिन अब बाढ़ की मार ने इस समीकरण को बदल दिया है।
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कृषि उत्पादन प्रभावित होगा: अगर मजदूर वापस नहीं लौटे तो कटाई और बुवाई का काम प्रभावित होगा।
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निर्माण कार्यों में रुकावट: पंजाब के कई प्रोजेक्ट्स मजदूरों की कमी से धीमे हो सकते हैं।
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दिल्ली-हरियाणा में मजदूरों की भीड़ बढ़ेगी: इससे स्थानीय मजदूरों के बीच रोजगार को लेकर प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी।
निष्कर्ष: पुनर्वास ही है समाधान
Punjab Floods 2025 ने केवल प्राकृतिक तबाही ही नहीं मचाई, बल्कि सामाजिक-आर्थिक संतुलन भी बिगाड़ दिया है। प्रवासी मजदूरों के पलायन से पंजाब की अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लग सकता है।
सरकार और प्रशासन को चाहिए कि:
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बाढ़ पीड़ित मजदूरों के लिए विशेष रोज़गार पैकेज लाया जाए।
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प्रभावित इलाकों में मनरेगा जैसी योजनाओं का विस्तार हो।
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प्रवासियों को अस्थायी आवास और खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए।
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दीर्घकालीन स्तर पर बाढ़ नियंत्रण और पुनर्वास योजना बनाई जाए।
अगर ऐसा नहीं किया गया तो प्रवासी मजदूरों का पंजाब से पलायन स्थायी हो सकता है और यह राज्य की आर्थिक रीढ़ पर गहरा असर डालेगा।