Delhi Riots Case: Sharjeel Imam Umar Khalid Bail Plea खारिज, HC बोला- Protest के नाम पर Violence बर्दाश्त नहीं
दिल्ली दंगों से जुड़े मामले (Delhi Riots Case) में हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने जेएनयू के पूर्व छात्र नेता Sharjeel Imam और जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष Umar Khalid की Bail Plea (जमानत याचिका) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि Delhi Riots Case सिर्फ एक साधारण आपराधिक केस नहीं है, बल्कि इसमें गहरी साजिश, संगठित तैयारी और जानबूझकर हिंसा को भड़काने के तत्व मौजूद हैं।
HC का बड़ा ऑब्जर्वेशन
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र में Protest (प्रदर्शन) करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। लेकिन जब यही प्रदर्शन हिंसा, अराजकता और जान-माल के नुकसान का कारण बने, तो इसे कानूनन संरक्षण नहीं दिया जा सकता। अदालत ने साफ कहा कि Protest की आड़ में Violence (हिंसा) बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
अभियोजन पक्ष का तर्क
अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि Sharjeel Imam और Umar Khalid दंगों की साजिश में सक्रिय रूप से शामिल थे। उनके भाषणों और मीटिंग्स से यह साफ होता है कि दंगों को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया। साथ ही कई गवाहों के बयान और डिजिटल सबूत भी इस ओर इशारा करते हैं कि दोनों नेताओं ने भीड़ को भड़काने में भूमिका निभाई।
बचाव पक्ष का तर्क
बचाव पक्ष ने कहा कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं और उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया जा रहा है। वकीलों का कहना था कि Sharjeel Imam और Umar Khalid केवल सरकार की नीतियों के खिलाफ लोकतांत्रिक ढंग से आवाज उठा रहे थे और उनका दंगों से कोई लेना-देना नहीं है।
कोर्ट ने क्यों खारिज की जमानत याचिका?
हाई कोर्ट ने माना कि दोनों नेताओं की भूमिका केवल ‘शांतिपूर्ण प्रदर्शन’ तक सीमित नहीं थी। कई सबूत यह दर्शाते हैं कि वे हिंसा को भड़काने और भीड़ को उकसाने में शामिल थे। कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसे मामलों में जमानत दी जाती है तो यह समाज के लिए गलत संदेश होगा और इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था कमजोर होगी।
Delhi Riots Case का बैकग्राउंड
फरवरी 2020 में दिल्ली में हुए दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की जान गई थी और सैकड़ों घायल हुए थे। इन दंगों में करोड़ों की संपत्ति का नुकसान हुआ था। यह दंगे नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध प्रदर्शन के दौरान भड़के थे।
Sharjeel Imam को पहले भी ‘देश तोड़ने वाले’ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वहीं Umar Khalid पर UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत केस दर्ज है।
राजनीति में गरमाहट
इस फैसले के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार असहमति की आवाज को कुचल रही है, जबकि सत्तापक्ष का कहना है कि अदालत का फैसला साफ करता है कि दंगों की साजिश रचने वालों के लिए कोई ढील नहीं होगी।
निष्कर्ष
Delhi Riots Case में हाई कोर्ट का फैसला बड़ा मैसेज देता है कि Sharjeel Imam और Umar Khalid की Bail Plea जैसे मामलों में अदालतें लोकतंत्र और कानून-व्यवस्था की रक्षा के लिए कड़ा रुख अपनाएंगी। कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अभिव्यक्ति की आजादी का दुरुपयोग कर हिंसा फैलाने वालों को किसी भी सूरत में राहत नहीं मिलेगी।