मनोज जरांगे अनशन खत्म: मराठा समाज की जीत का जश्न
मराठा आरक्षण आंदोलन के अगुवा मनोज जरांगे अनशन आखिरकार खत्म हो गया है। मंगलवार को मुंबई के आजाद मैदान में हजारों समर्थकों के बीच उन्होंने ऐलान किया कि वे अब आमरण अनशन समाप्त कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि जब तक मराठा समाज को स्थायी आरक्षण की कानूनी गारंटी नहीं मिलती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
सरकार के साथ बातचीत और बनी सहमति
जरांगे और महाराष्ट्र सरकार के बीच पिछले कई दिनों से बातचीत चल रही थी। सरकार ने मराठा समाज को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण देने का आश्वासन दिया है। साथ ही, आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए कार्यकर्ताओं पर दर्ज केस वापस लेने का वादा भी किया गया।
जरांगे ने कहा—“हमारी लड़ाई मराठा समाज के सम्मान और भविष्य के लिए है। सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन जब तक लिखित आदेश जारी नहीं होते, आंदोलन पूरी तरह खत्म नहीं होगा।”
शर्तें जिन पर अड़े जरांगे
अनशन खत्म करने के ऐलान के दौरान मनोज जरांगे ने तीन बड़ी शर्तें रखीं—
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मराठा समाज को स्थायी आरक्षण देने का कानूनी रास्ता तय किया जाए।
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शिक्षा और नौकरी में आरक्षण लागू करने की समयसीमा तय हो।
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आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लिए जाएं।
जरांगे का कहना है कि ये शर्तें सिर्फ मराठा समाज ही नहीं बल्कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से भी जरूरी हैं।
आजाद मैदान में उत्सव जैसा माहौल
जैसे ही मनोज जरांगे अनशन खत्म होने की खबर फैली, आजाद मैदान जश्न में डूब गया। समर्थकों ने ढोल-ताशों के साथ नारे लगाए, गुलाल उड़ाया और मिठाइयां बांटीं। “मराठा क्रांति जिंदाबाद” और “मनोज जरांगे अमर रहें” के नारे गूंजते रहे।
महिलाओं ने अपने बच्चों को जरांगे का आशीर्वाद दिलाने के लिए मंच तक पहुँचाया। समर्थकों का कहना था कि यह जीत सिर्फ जरांगे की नहीं बल्कि पूरे समाज की है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
जरांगे के अनशन खत्म होने से महाराष्ट्र की राजनीति में भी हलचल मच गई। विपक्ष ने सरकार पर सवाल उठाए कि अगर समय रहते कदम उठाए जाते तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। वहीं सत्ताधारी दलों ने कहा कि यह लोकतंत्र और संवाद की जीत है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जरांगे का आंदोलन आने वाले विधानसभा चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है।
स्वास्थ्य को लेकर राहत
लंबे अनशन से मनोज जरांगे की तबीयत बिगड़ गई थी। डॉक्टरों ने बार-बार उन्हें अनशन तोड़ने की सलाह दी थी। आखिरकार, स्वास्थ्य कारणों से भी उन्होंने यह कदम उठाया। डॉक्टरों ने राहत जताई कि अब उनका स्वास्थ्य सुधर सकेगा।
आंदोलन का भविष्य
जरांगे ने समर्थकों से कहा—“अनशन टूटा है, लेकिन आंदोलन नहीं।” उन्होंने सभी से संघर्ष जारी रखने की अपील की। उनका कहना है कि जब तक मराठा समाज को पक्का आरक्षण नहीं मिलता, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।
समाज को मिला नया संदेश
जरांगे का यह आंदोलन न सिर्फ मराठा समाज बल्कि पूरे देश में आरक्षण और सामाजिक न्याय की बहस को नया आयाम दे गया है। कई संगठनों का मानना है कि जरांगे की लड़ाई समाज के कमजोर वर्गों को प्रेरित करेगी।