Sunday, October 19, 2025
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ट्रंप सैंक्शन्स पर जर्मनी का बड़ा बयान: भारत पर दबाव खारिज, दोस्ती और रिश्ते होंगे और मजबूत

ट्रंप सैंक्शन्स जर्मनी भारत संबंध पर बड़ा बयान सामने आया है। जर्मनी ने ट्रंप की भारत पर सैंक्शन लगाने की अपील खारिज कर दी और साफ कहा कि भारत हमारा भरोसेमंद दोस्त है। दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी आने वाले वर्षों में और मजबूत होगी।

ट्रंप सैंक्शन्स जर्मनी भारत संबंध को लेकर दुनिया भर में चर्चा तेज हो गई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय देशों से भारत पर सेकेंडरी सैंक्शन्स लगाने की अपील की थी, लेकिन जर्मनी ने इसे स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया। जर्मन नेताओं ने कहा कि भारत उनके लिए सिर्फ एक कारोबारी साझेदार नहीं बल्कि एक रणनीतिक दोस्त है। यह बयान भारत-जर्मनी रिश्तों की मजबूती और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बढ़ती अहमियत को दर्शाता है।

ट्रूप की सैंक्शन्स की अपील पर जर्मनी का करारा जवाब

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय देशों — विशेषकर जर्मनी — से भारत पर वैसा ही दंडात्मक टैरिफ (सेकेंडरी सैंक्शन्स) लगाने की अपील की थी, जैसा उन्होंने स्वयं लगाया है। लेकिन इस अपील को जर्मनी ने स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है। जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान डेविड वेडफुल ने भारत से अपने संबंधों को “राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ” बताते हुए कहा कि हमारी दोस्ती को और मजबूत किया जाएगा। यह बयान जर्मनी की उस वैश्विक सोच का संकेत है, जो नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के पक्ष में है।

“भारत — हिंद-प्रशांत का प्रमुख साझेदार”

विदेश मंत्री वेडफुल ने भारत को दुनिया की “सबसे बड़ी लोकतंत्र और जनसंख्या वाले देश” के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि उसकी आवाज़ सिर्फ हिंद-प्रशांत में नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने स्पष्टीकरण दिया कि भारत इस सदी की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को आकार देने में निर्णायक भूमिका निभाता है और लोकतंत्र की साझेदारी के संबंध में हम स्वाभाविक साझेदार हैं।

गहराती रणनीतिक साझेदारी का संदेश

वे कहते हैं:

“हमारे संबंध राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से घनिष्ठ हैं। हमारी रणनीतिक साझेदारी के विस्तार में बहुत संभावनाएं हैं।”
इसी कड़ी में वेडफुल ने “नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था” को बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए कहा, “हमें इसे और मजबूत करना चाहिए।”AajTak
यह वक्तव्य जर्मनी की भारत के साथ व्यापक साझेदारी अथवा “India–Germany strategic partnership” को और मजबूती देने की इच्छा को दर्शाता है। खासकर तब, जब अमेरिका की विदेश नीति protección-oriented हो चली है।

ट्रंप की सेकेंडरी सैंक्शन्स की अपील—भारत पर और टैरिफ?

व्हाइट हाउस की इस अपील का आशय था कि यूरोप, अमेरिका जैसा ही रुख अपनाकर भारत को आर्थिक रूप से अलग कर दे—विशेषकर तेल और गैस के आयात को रोकते हुए। ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि यदि भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा, तो उस पर दंडात्मक शुल्क लगाया जाएगा। लेकिन भारत ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा कि चीन और यूरोप भी मास्को से ऊर्जा उत्पाद खरीदते रहे, फिर भी उन्हें ऐसा व्यवहार नहीं झेलना पड़ा, अतः यह चयनात्मक और अनुचित कार्रवाई है।

भारत-जर्मनी संबंधों की वैश्विक महत्ता

जर्मनी का यह स्पष्ट योगदान दर्शाता है कि वह अमेरिका के संरक्षण-वाद (protectionism) के विरोध में भारत के समर्थन में खड़ा है — एक मजबूत लोकतंत्र और हिंद-प्रशांत क्षेत्र का केंद्रीय खिलाड़ी। यह सहयोग सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं, बल्कि सुरक्षा, तकनीकी नवाचार (innovation), संसाधन विकास, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक विस्तारित है।

क्या जर्मनी आगे आएगा?

वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थिति में, यूरोपीय देशों के लिए यह आवश्यक है कि वे ट्रंप के “त्वरित और चयनात्मक” उपायों का सहारा न लें और सहयोगी देशों के साथ रणनीतिक दृष्टिकोण रखें। जर्मनी ने इसे स्पष्ट कर दिया कि वह भारत को एक मित्र राष्ट्र के रूप में उच्च प्राथमिकता देता है और उसकी साझेदारी को मजबूत बनाना चाहता है। यह संकेत है कि यूरोपीय मंच पर भारत की आवाज़ और प्रभाव बढ़ने की संभावना है।

निष्कर्ष: जर्मन रुख और भारत का भविष्य

  • जर्मनी ने ट्रंप की अपील को ठुकराया, यह पुष्टि करते हुए कि वह भारत की संप्रभुता और वैश्विक महत्व को स्वीकार करता है।

  • भारत-जर्मनी दोस्ती में उत्पादन, विज्ञान, सुरक्षा और ऊर्जा क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर हैं।

  • यह घटना यह भी संकेत देती है कि ट्रंप प्रशासन के संरक्षण-वादी रुख के सामने, लोकतांत्रिक और खुले अर्थशास्त्र वाले राष्ट्र मिलकर विरोध कर रहे हैं।

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