शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के मंच पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भाषण पूरी दुनिया का ध्यान खींचने वाला रहा। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सीधे-सीधे आतंकवाद के मुद्दे को उठाया और कहा कि यह मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए इसे आतंकवाद की क्रूरता का ताजा उदाहरण बताया।
इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ भी मंच पर मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, मोदी के कड़े शब्दों ने न सिर्फ उन्हें असहज किया बल्कि उनका चेहरा भी फीका पड़ गया।
“आतंकवाद मानवता का दुश्मन है”
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “चाहे वह सीमा पार से हो या फिर किसी भी रूप में, आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। कोई भी देश अगर इसे पनाह देता है या इसे समर्थन करता है तो वह खुद भी असुरक्षित रहता है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत हमेशा से कहता रहा है कि आतंकवाद को “अच्छा” और “बुरा” कहकर अलग-अलग रूप में देखने की गलती नहीं करनी चाहिए। यह पूरे विश्व की शांति और स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
पहलगाम हमले का जिक्र
अपने भाषण में पीएम मोदी ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले का उल्लेख किया जिसमें निर्दोष लोगों की जान गई। उन्होंने कहा कि यह हमला दर्शाता है कि आतंकवादी ताकतें अभी भी सक्रिय हैं और इन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिलता है।
“जब तक हम सभी मिलकर इसके खिलाफ कड़ा कदम नहीं उठाएंगे, तब तक निर्दोषों का खून बहता रहेगा।”
शहबाज़ शरीफ की असहजता
रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब पीएम मोदी पहलगाम हमले का जिक्र कर रहे थे और आतंकवाद के खिलाफ सख्त शब्दों का इस्तेमाल कर रहे थे, तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ का चेहरा पढ़ा जा सकता था। कई डेलीगेट्स ने महसूस किया कि मोदी की बातें सीधे पाकिस्तान की तरफ इशारा कर रही थीं।
कहा जा रहा है कि मोदी के भाषण के दौरान शरीफ कई बार नोट्स पलटते दिखे और अंत तक उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
SCO देशों की एकजुटता
मोदी के इस बयान को SCO देशों का भी समर्थन मिला। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत सभी नेताओं ने आतंकवाद को वैश्विक खतरा बताते हुए इसके खिलाफ मिलकर लड़ने की जरूरत पर जोर दिया।
घोषणापत्र में भी आतंकवाद की निंदा की गई और देशों से अपील की गई कि वे आतंकवादी संगठनों को पनाह न दें।
भारत की कूटनीतिक बढ़त
विशेषज्ञों का मानना है कि SCO समिट के इस भाषण ने भारत को कूटनीतिक बढ़त दी है। एक तरफ जहां मोदी ने वैश्विक मंच से आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख दिखाया, वहीं पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से उंगली उठाई।
विदेश नीति विशेषज्ञ डॉ. अनिल त्रिपाठी का कहना है, “मोदी का यह भाषण न केवल SCO मंच पर भारत की स्थिति को मजबूत करता है बल्कि पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कठघरे में खड़ा करता है।”
निष्कर्ष
SCO समिट के मंच से प्रधानमंत्री मोदी का यह भाषण न सिर्फ भारत की सुरक्षा चिंताओं को सामने लाया, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में एकजुटता की अपील भी की। वहीं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ की असहजता यह दिखाती है कि पड़ोसी देश परोक्ष रूप से निशाने पर था।
इस भाषण से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि भारत आतंकवाद को लेकर किसी भी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी इस पर मुखरता से अपनी आवाज़ उठाता रहेगा।