रविवार को दिल्ली से इंदौर जा रही एयर इंडिया की एक फ्लाइट में उस वक्त अफरातफरी मच गई जब उड़ान भरने के कुछ मिनट बाद ही विमान के इंजन में आग लगने की आशंका जताई गई। पायलट ने तुरंत सूझबूझ दिखाई और आपातकालीन प्रोटोकॉल के तहत विमान को हवा में ही यू-टर्न कराकर दिल्ली एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंडिंग करवाई। विमान में मौजूद सभी यात्री सुरक्षित बताए जा रहे हैं।
घटना कैसे घटी
एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या AI-635 ने रविवार सुबह दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी। करीब 15 मिनट के भीतर ही फ्लाइट में बैठे यात्रियों ने अचानक तेज आवाज और झटके महसूस किए। कुछ यात्रियों ने खिड़की से धुएं की हल्की परत निकलते हुए भी देखने का दावा किया।
पायलट को तुरंत इंजन से तकनीकी गड़बड़ी का अलर्ट मिला। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कप्तान ने एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) से इमरजेंसी की अनुमति मांगी। इसके बाद विमान ने हवा में ही यू-टर्न लिया और लगभग 30 मिनट बाद दिल्ली एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंडिंग की।
यात्रियों में दहशत, लेकिन सब सुरक्षित
फ्लाइट में मौजूद यात्रियों के मुताबिक, जैसे ही झटके और आवाजें महसूस हुईं, विमान में बैठे कई लोग घबरा गए। क्रू मेंबर्स ने तुरंत यात्रियों को शांत रहने की अपील की और सेफ्टी प्रोटोकॉल का पालन कराया।
एक यात्री ने बताया—
“हम सब बहुत डर गए थे, लगा कि अब कुछ बड़ा हादसा हो जाएगा। लेकिन पायलट और क्रू ने हमें संभाला और कुछ देर बाद ही विमान सुरक्षित उतार दिया गया। हम शुक्रगुजार हैं कि हम सब सुरक्षित हैं।”
एयर इंडिया का बयान
एयर इंडिया की ओर से इस घटना पर आधिकारिक बयान जारी किया गया। बयान में कहा गया:
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विमान में तकनीकी समस्या का पता चलते ही पायलट ने इमरजेंसी प्रक्रियाओं का पालन किया।
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यात्रियों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है।
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सभी यात्रियों और क्रू मेंबर्स सुरक्षित हैं।
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विमान की तकनीकी जांच की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी समस्या न आए।
DGCA और एयरपोर्ट अथॉरिटी की जांच शुरू
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA) ने घटना का संज्ञान लिया है। DGCA अधिकारियों ने बताया कि यह एक गंभीर तकनीकी समस्या है और इसकी गहन जांच होगी।
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (AAI) ने भी इमरजेंसी लैंडिंग के दौरान सभी आवश्यक सेवाओं को सक्रिय कर दिया था। दमकल की कई गाड़ियां और मेडिकल टीमें रनवे पर मौजूद थीं। हालांकि, राहत की बात यह रही कि किसी यात्री को चोट नहीं आई।
सुरक्षा को लेकर उठे सवाल
यह घटना ऐसे समय में हुई है जब भारत में एविएशन सेक्टर तेजी से विस्तार कर रहा है। रोजाना लाखों यात्री हवाई यात्रा कर रहे हैं।
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लगातार बढ़ती फ्लाइट्स और यात्रियों की संख्या को देखते हुए एयरलाइंस की सुरक्षा और मेंटेनेंस पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि एयरलाइंस की भागदौड़ में कभी-कभी मेंटेनेंस प्रोटोकॉल की अनदेखी हो जाती है।
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वहीं, अन्य का कहना है कि भारतीय एविएशन सेक्टर के पास सीमित संसाधन और टेक्निकल सपोर्ट होने से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं।
यात्रियों की मनोदशा
इस घटना के बाद कई यात्री मानसिक रूप से आघात में हैं। सोशल मीडिया पर लोगों ने अपने अनुभव साझा किए और पायलट की तारीफ की।
एक यात्री ने लिखा:
“आज मेरी दूसरी जिंदगी शुरू हुई है। जब इंजन में समस्या आई तो दिल बैठ गया, लेकिन पायलट और क्रू की बहादुरी से हम सब सुरक्षित बच निकले।”
हाल के समय में बढ़ी घटनाएं
गौरतलब है कि पिछले कुछ महीनों में भारत में फ्लाइट्स की तकनीकी खराबी और इमरजेंसी लैंडिंग के कई मामले सामने आए हैं।
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जून 2025 में भी एयर इंडिया की एक घरेलू फ्लाइट को इंजन फेल होने के बाद नागपुर में आपात लैंडिंग करनी पड़ी थी।
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जुलाई 2025 में इंडिगो की एक फ्लाइट को हाइड्रोलिक सिस्टम फेल होने पर अहमदाबाद एयरपोर्ट पर सुरक्षित उतारा गया था।
इन घटनाओं ने यात्रियों में भय का माहौल बना दिया है और एविएशन रेगुलेटर्स पर दबाव बढ़ा दिया है कि वे सख्त मानकों को लागू करें।
विशेषज्ञों की राय
एविएशन विशेषज्ञों का कहना है कि पायलट की सूझबूझ और त्वरित निर्णय ने एक बड़ा हादसा टाल दिया।
विशेषज्ञों के मुताबिक:
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विमानन क्षेत्र में तकनीकी गड़बड़ी असामान्य नहीं है, लेकिन सवाल है कि इन्हें उड़ान से पहले क्यों नहीं पहचाना जा सका।
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भारतीय एविएशन सेक्टर को अब प्रिवेंटिव मेंटेनेंस और सुरक्षा प्रशिक्षण पर ज्यादा निवेश करना होगा।
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हर घटना के बाद केवल जांच कर देने से काम नहीं चलेगा, बल्कि सिस्टम में स्थायी सुधार लाने होंगे।
निष्कर्ष
दिल्ली-इंदौर एयर इंडिया फ्लाइट की यह घटना यात्रियों और एविएशन सेक्टर के लिए चेतावनी है। सौभाग्य से कोई बड़ा हादसा नहीं हुआ और सभी यात्री सुरक्षित बच गए। लेकिन यह साफ है कि भारतीय एविएशन सेक्टर को सुरक्षा मानकों पर और सख्त कदम उठाने होंगे।
आज की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि पायलट और क्रू मेंबर्स की त्वरित समझदारी और प्रशिक्षण ही यात्रियों की जान बचाने का सबसे बड़ा सहारा है।