भारत और जापान के बीच आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जापान दौरे के दौरान दोनों देशों ने अगले दस वर्षों के लिए 10 ट्रिलियन येन (लगभग 6.7 लाख करोड़ रुपये) के निवेश रोडमैप पर सहमति जताई। यह समझौता दोनों देशों की आर्थिक शक्ति को जोड़ने और एशिया की स्थिरता एवं विकास में योगदान देने की दिशा में बेहद अहम माना जा रहा है।
निवेश रोडमैप के मुख्य बिंदु
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बुनियादी ढांचा विकास – जापान भारत में हाई-स्पीड रेल प्रोजेक्ट (बुलेट ट्रेन), स्मार्ट सिटी और मेट्रो रेल जैसे प्रोजेक्ट्स में बड़ा निवेश करेगा।
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तकनीक और डिजिटल नवाचार – आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर्स और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में संयुक्त रिसर्च और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।
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ग्रीन एनर्जी – सौर और पवन ऊर्जा, हाइड्रोजन और ईवी (इलेक्ट्रिक वाहन) के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश की योजना है।
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मानव संसाधन विकास – दोनों देश मिलकर स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाएंगे ताकि भारतीय युवाओं को जापान की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ मिल सके।
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व्यापार और उद्योग – जापानी कंपनियों को भारत में निवेश के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा, वहीं भारतीय कंपनियों को जापान में विस्तार का अवसर मिलेगा।
पीएम मोदी का संबोधन
टोक्यो में भारतीय प्रवासी और जापानी निवेशकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा—
“भारत और जापान का रिश्ता सिर्फ आर्थिक सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विश्वास, मित्रता और साझा मूल्यों पर आधारित है। यह 10 ट्रिलियन येन रोडमैप हमारे आने वाले दशक को सुरक्षित, समृद्ध और तकनीकी रूप से उन्नत बनाएगा।”
मोदी ने जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा का आभार जताते हुए कहा कि भारत-जापान की साझेदारी “एशिया और विश्व के लिए स्थिरता का स्तंभ” है।
जापान का रुख
जापानी प्रधानमंत्री किशिदा ने कहा कि भारत जापान के लिए “सर्वाधिक विश्वसनीय साझेदार” है। उन्होंने जोर दिया कि यह निवेश योजना दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को नई दिशा देगी और वैश्विक सप्लाई चेन को मजबूत करेगी।
भारत-जापान संबंधों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
भारत और जापान के बीच संबंध हमेशा से गहरे और बहुआयामी रहे हैं। आजादी के बाद से जापान भारत का एक बड़ा निवेशक और तकनीकी साझेदार रहा है। 2014 में प्रधानमंत्री मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के बाद जापानी कंपनियों ने भारत में ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और बुनियादी ढांचे में बड़े निवेश किए।
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल) भारत-जापान संबंधों का प्रतीक है, जिसे अब और तेज़ी से आगे बढ़ाया जाएगा।
भू-राजनीतिक महत्व
यह समझौता ऐसे समय हुआ है जब वैश्विक व्यापार पर अमेरिका की नई टैरिफ नीतियों और चीन की आक्रामक नीतियों का असर देखा जा रहा है। भारत और जापान का यह गठजोड़ न केवल आर्थिक बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी अहम है। दोनों देश “मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक” (FOIP) के विचार को आगे बढ़ा रहे हैं।
आर्थिक विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निवेश भारत की विकास दर को गति देगा। बुनियादी ढांचे और ग्रीन एनर्जी पर जापान का सहयोग भारत को स्थिर और टिकाऊ विकास की ओर ले जाएगा। वहीं, तकनीकी क्षेत्र में साझेदारी भारत को वैश्विक स्तर पर एक मजबूत खिलाड़ी बना सकती है।
भारतीय जनता और उद्योग जगत की प्रतिक्रिया
भारतीय उद्योग संगठनों ने इस निवेश योजना का स्वागत किया है। सीआईआई और फिक्की ने कहा कि इससे भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूती मिलेगी और लाखों युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
साधारण भारतीय नागरिकों के लिए इसका लाभ बेहतर परिवहन, स्मार्ट शहरों और नई तकनीक के रूप में सामने आएगा।
निष्कर्ष
भारत और जापान के बीच 10 ट्रिलियन येन निवेश रोडमैप सिर्फ आर्थिक समझौता नहीं है, बल्कि यह एशिया के भविष्य का खाका भी है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों को नई ऊँचाइयों पर ले गया है और यह संदेश दिया है कि भारत-जापान मिलकर एशिया को विकास और स्थिरता का नया केंद्र बना सकते हैं।