भारत बन सकता है 2038 में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था — अमेरिकी टैरिफ के विपरीत रफ्तार
नवीनतम EY (Ernst & Young) द्वारा प्रकाशित August 2025 – Economy Watch रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारत वर्तमान आर्थिक रुझानों को बनाए रखें, तो वह 2038 तक खरीद शक्ति समन्वयित (PPP) के आधार पर वैश्विक अर्थव्यवस्था में दूसरा स्थान हासिल कर सकता है। यह उपलब्धि तब भी संभव दिखाई देती है जब अमेरिका द्वारा भारत पर ज़बरदस्त टैरिफ दंड लगाया गया है।
EY रिपोर्ट का सारांश और अनुमान
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रिपोर्ट के अनुसार, भारत का जीडीपी (PPP) 2030 तक $20.7 ट्रिलियन (IMF अनुमान) तक पहुँच सकता है, और यदि 2028–30 की विकास दर (भारत ~6.5%, अमेरिका ~2.1%) समान रूप से बनी रहती है, तो भारत 2038 तक $34.2 ट्रिलियन का अर्थव्यवसाय हासिल कर सकता है, जिससे वह दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।वर्तमान में भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है (नॉमिनल आधार पर लगभग $4 ट्रिलियन) और तीसरे स्थान पर PPP आधार पर (लगभग $15 ट्रिलियन)
यह कैसे संभव है? — भारत की मजबूत आर्थिक नींव
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जवान जनसंख्या भारत की मध्यम आयु 2025 में केवल 28.8 वर्ष है, जो उसे तेज कार्यबल और उपभोग का लाभ देता है।
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उच्च बचत और निवेश दर
बड़े पैमाने पर बचत घरेलू निवेश को बढ़ावा देती है, जो पूंजी निर्माण में सहायक है। -
ऋण स्थिरता
सरकार का कर्ज-से-जीडीपी अनुपात 2024 में 81.3% था, जो 2030 तक घटकर 75.8% हो सकता है, जबकि कई अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाओं में ऋण बढ़ रहा है। -
आंतरिक मांग और संरचनात्मक सुधार
– GST, IBC, UPI, और PLI जैसे सुधारों ने उद्योगों की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाई है।
– इन्फ्रास्ट्रक्चर, AI, सेमीकंडक्टर, और नवीकरणीय ऊर्जा में सार्वजनिक निवेश और टेक्नोलॉजी अपनाने से दीर्घकालिक दृढ़ता बनी है। -
बाजार विनिमय दर परिवर्तन
2028 तक भारत को डॉलर विनिमय दर के आधार पर तीसरे स्थान पर पहुंचने की उम्मीद है, जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए।
अमेरिकी टैरिफ: चुनौती पर नियंत्रण
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अमेरिका द्वारा 50% तक टैरिफ लगाए गए हैं, जो भारत के लगभग 0.9% जीडीपी को प्रभावित कर सकते हैं। लेकिन रिपोर्ट बताती है कि निर्यात विविधीकरण, घरेलू मांग को बढ़ावा और नए वाणिज्यिक साझेदारियों से वृद्धि में केवल 0.1% का असर हो सकता है — जो संभाला जा सकता है।
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विशेषज्ञों ने भी इस टैरिफ बढ़ोतरी को भारत की दीर्घकालिक कहानी पर बड़ा प्रभाव न डालने वाला बताया है।
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पूर्व NITI आयुक्त अमिताभ कांत ने कहा कि यह जागने की घंटी की तरह है — भारत को आर्थिक नीतियों में बड़े सुधार और मगर की क्षमता के साथ जवाब देने की आवश्यकता है।
वैश्विक संदर्भ में भारत की बढ़त
रिपोर्ट का तुलनात्मक विश्लेषण दर्शाता है:
देश | चुनौतियाँ |
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चीन | वृद्ध होती जनसंख्या, बढ़ता ऋण |
अमेरिका | 120% से अधिक राष्ट्रीय ऋण, धीमी विकास दर |
जर्मनी व जापान | उच्च औसत आयु, वैश्विक व्यापार पर निर्भरता |
इसके विपरीत, भारत मजबूत जनसांख्यिकी, स्थिर वित्तीय स्थिति और दीर्घकालिक सुधारों के कारण तेजी से आगे बढ़ने की स्थिति में है।
विशेषज्ञों और नीति सलाहकों की राय
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DK Srivastava, EY India, ने कहा कि भारत की मजबूत युवा शक्ति, बचत और निवेश, तकनीकी क्षमताएं और ऋण नियंत्रण से 2047 के Viksit Bharat का सपना हकीकत बन सकता है।
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Matt Orton ने कहा है कि हालांकि टैरिफ के प्रभाव हैं, लेकिन यह भारत की लंबी अवधि की दिशा को कमजोर नहीं कर सकते।
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Amitabh Kant ने इसे भारत के लिए सुधार का अवसर बताया, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिल सकती है।
निष्कर्ष
EY रिपोर्ट बताती है कि भारत:
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युवा जनसंख्या और उभरती घरेलू मांग के दम पर विकास की ऊँचाई छू सकता है
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मजबूत वित्तीय और नीतिगत आधार बनाकर बाहरी झटकों का प्रबंधन कर सकता है
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अमेरिकी टैरिफ जैसी चुनौतियों के बावजूद दीर्घकालिक रूप से वृद्धि की राह पर है
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यदि उपयुक्त आर्थिक सुधार और वैश्विक सम्बंध बनाए रखें तो वह 2038 तक विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।