Wednesday, August 27, 2025
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कॉमेडी की आड़ में असंवेदनशीलता नहीं चलेगी: सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार, कॉमेडियंस को सोशल मीडिया पर मांफी का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने समय रैना, विपुल गोयल, रणवीर अल्लाहबादिया समेत कई कॉमेडियंस को विकलांग व्यक्तियों पर असंवेदनशील चुटकुले करने पर फटकार लगाई। अदालत ने आदेश दिया कि सभी आरोपी सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी मांगें और वीडियो संदेश जारी करें। न्यायालय ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दूसरों की गरिमा को ठेस पहुंचाने का लाइसेंस नहीं है। यह फैसला कॉमेडी और कंटेंट क्रिएशन की सीमाओं को लेकर एक नई बहस छेड़ सकता है।

“कॉमेडी की आड़ में असंवेदनशीलता नहीं चलेगी: सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार, कॉमेडियंस को सोशल मीडिया पर मांफी का आदेश”

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश के मशहूर स्टैंड-अप कॉमेडियंस और डिजिटल इन्फ्लुएंसर्स को कड़ी फटकार लगाई है। मामला उन “असंवेदनशील चुटकुलों” से जुड़ा है, जो विकलांग व्यक्तियों (Persons with Disabilities) को लेकर मंचों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किए गए थे। न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार किसी को भी दूसरों की गरिमा और संवेदनाओं को ठेस पहुँचाने का लाइसेंस नहीं देता। अदालत ने संबंधित कॉमेडियंस को निर्देश दिया कि वे सार्वजनिक तौर पर अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से माफी मांगें और वीडियो संदेश जारी करें

किन कॉमेडियंस पर कार्रवाई हुई?

सुप्रीम कोर्ट में जिन कॉमेडियंस और डिजिटल क्रिएटर्स को बुलाया गया और फटकार लगाई गई, उनमें शामिल हैं:

  • समय रैना

  • विपुल गोयल

  • बलराज परमजीत सिंह घई

  • सोनाली ठाक्कर

  • निशांत जगदीश तंवर
    इसके अलावा रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि डिजिटल इन्फ्लुएंसर रणवीर अल्लाहबादिया (BeerBiceps) को भी नोटिस भेजा गया।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि आज के दौर में कॉमेडी और सोशल मीडिया का असर सीधे समाज पर पड़ता है। “हास्य का उद्देश्य समाज में मुस्कान लाना है, लेकिन यदि वह किसी कमजोर वर्ग या विकलांग व्यक्तियों की गरिमा का मजाक उड़ाए तो यह पूरी तरह अस्वीकार्य है।”

न्यायालय ने कॉमेडियंस से कहा कि वे यह समझें कि उनके लाखों फॉलोअर्स उनकी कही हुई बातों को गंभीरता से लेते हैं। ऐसे में यह जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वे हास्य और व्यंग्य की सीमा को न लांघें।

आदेश: सोशल मीडिया पर सार्वजनिक माफी

अदालत ने आदेश दिया कि संबंधित सभी कॉमेडियंस और इन्फ्लुएंसर्स अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगें। इसके लिए एक वीडियो संदेश जारी करना होगा, जिसमें वे यह स्पष्ट करें कि आगे से ऐसे चुटकुले नहीं करेंगे और सभी वर्गों की गरिमा का सम्मान करेंगे।

मामला कैसे शुरू हुआ?

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर कुछ क्लिप्स वायरल हुए, जिनमें कॉमेडियंस ने विकलांग व्यक्तियों का मजाक उड़ाते हुए कथित तौर पर अपमानजनक चुटकुले सुनाए थे। इन क्लिप्स पर विकलांगता अधिकार कार्यकर्ताओं और कई संगठनों ने कड़ा विरोध दर्ज किया। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सामाजिक जिम्मेदारी

यह केस केवल कॉमेडी की सीमा का ही नहीं बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम सामाजिक जिम्मेदारी का भी प्रतीक बन गया है।
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय संविधान में अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन अनुच्छेद 19(2) यह भी कहता है कि यह स्वतंत्रता असीमित नहीं है और यह सार्वजनिक शालीनता, मर्यादा और अन्य नागरिकों के अधिकारों से बंधी हुई है।

समाज में प्रतिक्रिया

  • विकलांग अधिकार कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया और कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है जो भविष्य में किसी भी प्रकार के भेदभावपूर्ण हास्य को हतोत्साहित करेगा।

  • वहीं, कुछ कॉमेडियंस ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह “कॉमेडी स्पेस पर सेंसरशिप” जैसा कदम है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि यहां उद्देश्य सेंसरशिप नहीं बल्कि मानव गरिमा की रक्षा है।

आगे की कार्यवाही

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए एक तारीख तय की है, जिसमें यह देखा जाएगा कि कॉमेडियंस ने अदालत के आदेश का पालन किया या नहीं। यदि आदेश की अवहेलना की जाती है, तो उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई भी संभव है।

विश्लेषण

यह मामला देश में कॉमेडी, सोशल मीडिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर एक बड़ा मंथन खड़ा करता है। एक ओर, कॉमेडियंस मानते हैं कि उनका काम व्यंग्य और तंज के जरिए समाज को आईना दिखाना है, वहीं दूसरी ओर अदालत का रुख यह बताता है कि इस स्वतंत्रता के नाम पर किसी भी कमजोर वर्ग का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
यह फैसला एक मिसाल बनेगा और आने वाले समय में कॉमेडी और कंटेंट क्रिएशन के मानदंडों को और जिम्मेदार बनाएगा।

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