कहीं सप्तम राहु आपके वैवाहिक दुखों का कारण तो नहीं?
प्रस्तावना:
नमस्कार! आप देख रहे हैं Navchetna News।
अक्सर लोग शिकायत करते हैं कि शादी के बाद उनका जीवन वैसा खुशहाल नहीं रहा जैसा उन्होंने सोचा था। पति-पत्नी के बीच अनबन, अविश्वास, या अलगाव की स्थिति बार-बार क्यों पैदा होती है? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इसका एक बड़ा कारण हो सकता है – सप्तम भाव में राहु की स्थिति।
🌌 सप्तम भाव और वैवाहिक जीवन
जन्म कुंडली में सप्तम भाव (7th House) को विवाह, साझेदारी और दाम्पत्य सुख का भाव माना गया है।
-
अगर इस भाव में राहु विराजमान हो जाए, तो वैवाहिक जीवन में असामान्य परिस्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
-
राहु मायाजाल, भ्रम और इच्छाओं का प्रतीक है। जब यह सप्तम भाव में आता है, तो रिश्तों में संदेह, असुरक्षा और अस्थिरता ला सकता है।
⚖️ वैवाहिक जीवन पर राहु के प्रभाव
-
अनबन और झगड़े – छोटी-छोटी बातों पर टकराव बढ़ना।
-
अविश्वास की भावना – साथी पर भरोसा न कर पाना।
-
अनचाहे रिश्तों की ओर आकर्षण – विवाहेतर संबंधों की संभावना।
-
देरी से विवाह – विवाह में रुकावट या देर होना।
-
मानसिक तनाव – अनिश्चितता और असुरक्षा के कारण तनावपूर्ण जीवन।
🕉️ क्या हैं उपाय?
ज्योतिष शास्त्र में राहु के दोष को शांत करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जैसे:
-
राहु मंत्र का जाप – “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” रोज़ 108 बार।
-
शनिवार को राहु से जुड़े दान – जैसे काला तिल, काला वस्त्र, उड़द की दाल का दान।
-
शिव पूजन और राहु-केतु शांति पूजा कराना।
-
जीवनसाथी के साथ पारदर्शिता और संवाद को बढ़ावा देना।
📢 निष्कर्ष
अगर आपके वैवाहिक जीवन में लगातार तनाव और दुख बने हुए हैं, तो संभव है कि इसका कारण सप्तम भाव में राहु की स्थिति हो। लेकिन याद रखें—उपाय और सकारात्मक दृष्टिकोण से हर समस्या का समाधान संभव है।