Thursday, October 16, 2025
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अंगूर अड्डा, बजौर, खुर्रम, डीर — वो बॉर्डर पोस्ट जहां तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार

तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार — अंगूर अड्डा, बजौर, खुर्रम और डीर की बॉर्डर पोस्ट पर मचे खूनी संघर्ष में कई सैनिक ढेर हुए।

तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार: अंगूर अड्डा से डीर तक बॉर्डर पर मचा हाहाकार

तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार — यह वाक्य आज पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति का सबसे सटीक वर्णन बन गया है। अफगानिस्तान से सटे अंगूर अड्डा, बजौर, खुर्रम और डीर जैसे इलाकों में पिछले कुछ हफ्तों से लगातार गोलीबारी और बम हमले हो रहे हैं। इन झड़पों ने पाकिस्तान को एक बार फिर यह अहसास दिलाया है कि उसने जिस ताकत को कभी अपना रणनीतिक सहयोगी समझा था, वही अब उसकी सीमाओं पर विनाश बरपा रही है।

अंगूर अड्डा: जहां तालिबान ने पहली बार दिखाई ताकत

तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार की शुरुआत दक्षिण वजीरिस्तान के अंगूर अड्डा क्षेत्र से हुई। यहां अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के उग्रवादियों ने मिलकर पाकिस्तानी सुरक्षा चौकियों पर हमला किया।
रिपोर्टों के अनुसार, इन हमलों में दर्जनों पाकिस्तानी सैनिक मारे गए जबकि कई घायल हुए। हमलावरों ने न केवल चौकियों पर कब्जा करने की कोशिश की बल्कि हथियार और गोला-बारूद भी लूट लिए।

स्थानीय मीडिया के अनुसार, हमले के दौरान पाकिस्तानी सेना को हवाई समर्थन लेना पड़ा। तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार इस तथ्य से और स्पष्ट हुई कि कई घंटे तक पाकिस्तानी सैनिक बचाव की स्थिति में रहे।

बजौर और खुर्रम में संघर्ष: आतंकियों ने बढ़ाई सीमा पार हलचल

पाकिस्तान के बजौर एजेंसी और खुर्रम जिलों में भी हाल ही में भारी गोलीबारी और बम धमाकों की घटनाएं दर्ज हुई हैं।
तालिबान समर्थित चरमपंथी गुटों ने यहां एफसी (Frontier Corps) की कई चौकियों को निशाना बनाया। इन हमलों में पाकिस्तान के 15 से अधिक सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।

तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार इस स्तर तक पहुंच गई है कि स्थानीय लोग सीमावर्ती गांवों से पलायन करने लगे हैं। कई जगहों पर पाकिस्तानी सेना ने कर्फ्यू लगाया है और इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं।

डीर और उत्तरी वजीरिस्तान: आतंक की नई लहर

डीर और उत्तरी वजीरिस्तान में भी हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। यहां तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लड़ाकों ने सेना के काफिलों पर घात लगाकर हमला किया।
सेना के मुताबिक, यह हमला “अंदरूनी सहायता” के बिना संभव नहीं था — यानी तालिबान के कुछ समर्थक स्थानीय स्तर पर सक्रिय हैं।

तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार का एक बड़ा कारण यह भी है कि तालिबान सरकार ने अफगानिस्तान से पाकिस्तानी आतंकियों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

पृष्ठभूमि: कभी सहयोगी, आज सबसे बड़ा खतरा

अफगान तालिबान और पाकिस्तान के रिश्ते दशकों पुराने हैं। पाकिस्तान ने ही 1990 के दशक में तालिबान को आर्थिक और सैन्य सहायता दी थी। लेकिन अफगानिस्तान में तालिबान सरकार बनने के बाद तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने पाकिस्तानी सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार इसलिए भी अहम है क्योंकि पाकिस्तान अब उन्हीं ताकतों के खिलाफ लड़ रहा है जिन्हें उसने कभी “रणनीतिक गहराई” के लिए तैयार किया था।

पाकिस्तानी सरकार और सेना का बयान

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में कहा,

“तालिबान को समझना चाहिए कि आतंकवाद किसी के नियंत्रण में नहीं रह सकता। पाकिस्तान अपनी सीमाओं की रक्षा हर कीमत पर करेगा।”

वहीं सेना के प्रवक्ता ने दावा किया कि आतंकियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर “ऑपरेशन अज्म-ए-इस्तेहकाम” शुरू किया गया है।
हालांकि, स्थानीय लोगों का कहना है कि यह ऑपरेशन केवल मीडिया दिखावा है। तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार तब तक जारी रहेगी जब तक उसकी नीतियों में दोहरापन खत्म नहीं होता।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया

अमेरिका और भारत ने इन घटनाओं पर चिंता जताई है। दोनों देशों ने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर बढ़ती हिंसा से क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में है।
भारत ने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान को चेतावनी दी कि आतंक के “फ्रेंकेंस्टीन” को पालने के परिणाम हमेशा विनाशकारी होते हैं।

विश्लेषण: क्यों पड़ रही है पाकिस्तान को लगातार मार?

  1. अफगान तालिबान की चुप्पी: तालिबान सरकार पाकिस्तान के दबाव को अब अनदेखा कर रही है।

  2. TTP की बढ़ती ताकत: अफगान सीमा से सक्रिय TTP अब अधिक संगठित और सशस्त्र हो चुका है।

  3. जनता का असंतोष: सीमा क्षेत्रों में लोग सरकार और सेना दोनों से नाराज हैं।

  4. खुफिया नाकामी: आतंकी हमलों की सटीक जानकारी जुटाने में पाकिस्तानी एजेंसियां विफल हैं।

इन सब कारणों से तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार लगातार गहराती जा रही है।

निष्कर्ष: अपनी बनाई आग में झुलसता पाकिस्तान

पाकिस्तान आज उसी आग में जल रहा है जिसे उसने कभी दूसरों के खिलाफ जलाया था।
तालिबान से जंग में पाकिस्तान को पड़ी मार इस बात का सबूत है कि आतंकवाद किसी देश के लिए स्थायी “रणनीतिक संपत्ति” नहीं बन सकता।
अब देखना होगा कि क्या पाकिस्तान अपनी नीतियों में बदलाव कर शांति की राह अपनाता है, या फिर यह संघर्ष आने वाले महीनों में और भी खतरनाक रूप ले लेता है।

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