Thursday, October 16, 2025
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PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता, ट्रंप से हो सकती है अहम मुलाकात

PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता मिला है। सम्मेलन में पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप भी होंगे, जिससे महत्वपूर्ण वार्ता संभव है।

PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता, ट्रंप से हो सकती है मुलाकात

PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता मिलने के बाद अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में हलचल तेज हो गई है। यह सम्मेलन अगले सप्ताह सऊदी अरब की राजधानी रियाद में आयोजित किया जाएगा, जहाँ पश्चिम एशिया में जारी गाजा संघर्ष पर शांति के लिए विश्व नेताओं को एक मंच पर लाया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और भारत सहित करीब 30 देशों के शीर्ष नेता शामिल होंगे। चर्चा इस बात पर केंद्रित रहेगी कि गाजा में जारी मानवीय संकट को कैसे समाप्त किया जाए और इज़राइल-फ़िलिस्तीन के बीच स्थायी शांति का रास्ता कैसे निकले।

गाजा पीस समिट में भारत की भूमिका क्यों अहम मानी जा रही है

PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत लंबे समय से इज़राइल और फ़िलिस्तीन दोनों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखता आया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जहाँ एक ओर इज़राइल के साथ रक्षा और तकनीकी सहयोग को मज़बूत किया है, वहीं दूसरी ओर फ़िलिस्तीन को लगातार मानवीय और विकासात्मक सहायता भी दी है।

भारत ने हमेशा “दो-राष्ट्र समाधान” का समर्थन किया है और संयुक्त राष्ट्र में भी कई बार गाजा में नागरिकों की सुरक्षा की अपील की है। ऐसे में गाजा पीस समिट में मोदी की उपस्थिति क्षेत्रीय स्थिरता और भारत की “वैश्विक मध्यस्थ” छवि को और मजबूत कर सकती है।

PM मोदी और ट्रंप की संभावित मुलाकात पर सबकी नजर

इस सम्मेलन की सबसे बड़ी चर्चा का विषय यह है कि PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता मिलने के साथ-साथ उनकी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात भी तय हो सकती है।
ट्रंप ने हाल ही में घोषणा की थी कि अगर वे फिर से सत्ता में आते हैं तो मध्यपूर्व में “स्थायी शांति योजना” पर काम करेंगे।

मोदी-ट्रंप मुलाकात की संभावना पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अभी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि दोनों नेता सम्मेलन के इतर द्विपक्षीय वार्ता कर सकते हैं।
इस बैठक में रक्षा सहयोग, ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक आतंकवाद जैसे विषयों पर चर्चा होने की संभावना है।

गाजा पीस समिट का उद्देश्य: युद्ध नहीं, समाधान

गाजा पट्टी में पिछले कई महीनों से जारी संघर्ष में हजारों निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और अरब लीग इस हिंसा को रोकने के लिए लगातार अपील कर रहे हैं।
इसी के तहत PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता दिया गया है, ताकि भारत जैसे प्रभावशाली देश इस संकट के समाधान में योगदान दे सकें।

इस सम्मेलन में “ह्यूमेनिटेरियन कॉरिडोर” खोलने, युद्धविराम समझौते और पुनर्निर्माण सहायता जैसे मुद्दों पर ठोस प्रस्ताव पारित होने की उम्मीद है।
भारत पहले ही गाजा में मेडिकल और खाद्य सहायता भेज चुका है।

भारत के रुख पर विदेश मंत्रालय का बयान

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा —

“भारत हर प्रकार की हिंसा की निंदा करता है और गाजा में नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शांति वार्ता का समर्थन करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस सम्मेलन के लिए निमंत्रण मिला है और हम इसके एजेंडा पर सकारात्मक रूप से विचार कर रहे हैं।”

यह बयान इस ओर इशारा करता है कि भारत अपनी वैश्विक जिम्मेदारी को लेकर गंभीर है और शांति स्थापना में रचनात्मक भूमिका निभाने को तैयार है।

कूटनीतिक विश्लेषण: भारत का बढ़ता अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

कूटनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता भारत की बढ़ती वैश्विक साख का प्रतीक है।
जहाँ पश्चिम एशिया में अमेरिका की भूमिका कम होती जा रही है, वहीं भारत का “संतुलित और संवाद-आधारित दृष्टिकोण” कई देशों के लिए भरोसे का प्रतीक बन गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर मोदी इस सम्मेलन में मध्यस्थता की पहल करते हैं, तो यह भारत को “वैश्विक शांति निर्माता” की नई पहचान दिला सकता है।
भारत ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी संतुलित रुख अपनाकर कई देशों का विश्वास जीता था।

ट्रंप और मोदी की बातचीत का संभावित एजेंडा

अगर ट्रंप और मोदी की मुलाकात होती है तो यह कई मायनों में ऐतिहासिक होगी।
अमेरिका में चुनावी साल चल रहा है और ट्रंप एशियाई कूटनीति में नए संकेत भेजना चाहते हैं।
संभावना है कि दोनों नेता निम्न विषयों पर चर्चा करें —

  1. ऊर्जा और तेल आपूर्ति सुरक्षा

  2. दक्षिण एशिया में स्थिरता और आतंकवाद-रोधी सहयोग

  3. इंडो-पैसिफिक रणनीति और चीन की भूमिका

  4. गाजा संकट में मानवीय राहत का सहयोग

इन चर्चाओं का असर भारत-अमेरिका संबंधों पर दीर्घकालिक रूप से पड़ सकता है।

गाजा संकट का मानवीय पहलू और भारत की सोच

PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता ऐसे समय में मिला है जब गाजा में हालात बेहद खराब हैं।
हजारों लोग विस्थापित हैं, अस्पतालों में दवाओं की कमी है और बिजली की आपूर्ति ठप है।
भारत ने इस संकट के समाधान के लिए ‘शांति और सहयोग’ की नीति पर जोर दिया है।
मोदी ने पहले भी कहा था —

“मानवता किसी भी सीमा या धर्म से बड़ी है। शांति ही प्रगति का मार्ग है।”

निष्कर्ष: भारत की शांति नीति का नया अध्याय

PM मोदी को गाजा पीस समिट में शामिल होने का न्योता भारत की वैश्विक कूटनीति के लिए एक नया अवसर है।
यह सम्मेलन न सिर्फ गाजा संघर्ष पर शांति का मंच बनेगा बल्कि भारत की “विश्वगुरु” छवि को और मज़बूत करेगा।
ट्रंप के साथ संभावित मुलाकात से दोनों देशों के संबंधों में नई ऊर्जा आ सकती है।

अगर भारत इस मंच पर सार्थक योगदान देता है, तो यह “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना का वास्तविक उदाहरण होगा।

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