कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके: PAK आर्मी के 12 जवान मारे गए, 5 ने हथियार डाले, टैंक-चौकियां कब्जे में
कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके — यह वाक्य आज पाकिस्तान की सुरक्षा स्थिति का सबसे सटीक वर्णन कर रहा है। अफगान सीमा से सटे खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान सेना पर बड़ा हमला बोला है। इस हमले में PAK आर्मी के 12 जवान मारे गए, जबकि 5 सैनिकों ने तालिबान के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।
तालिबान ने पाकिस्तान की दो चौकियों और एक बख्तरबंद टैंक पर भी कब्जा कर लिया है। यह घटना न केवल पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा बल्कि उसकी विदेश नीति पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
अफगान बॉर्डर पर खून की बारिश: कैसे हुआ हमला
कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके तब बने जब शनिवार की सुबह करीब 4 बजे उन्होंने अफगानिस्तान की ओर से अचानक हमला कर दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमला खैबर पख्तूनख्वा के शिरानी जिले में हुआ, जहाँ पाकिस्तानी सेना की एक अग्रिम पोस्ट स्थित थी।
तालिबान के लड़ाकों ने पहले रॉकेट दागे, फिर भारी मशीनगनों से गोलाबारी शुरू कर दी।
करीब दो घंटे तक चली इस मुठभेड़ में पाकिस्तान के 12 जवान मारे गए।
तालिबान ने दावा किया कि उन्होंने दो टैंकों और तीन सैन्य वाहनों को भी अपने कब्जे में ले लिया है।
पाकिस्तानी मीडिया को सेना ने सीमित बयान दिया है, जिसमें केवल “कुछ हताहतों” की पुष्टि की गई है।
कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके: PAK सेना की स्थिति कमजोर
कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके केवल एक हमले का वर्णन नहीं, बल्कि यह पाकिस्तान की कमजोर होती सुरक्षा नीति का प्रतीक बन गया है।
हाल के महीनों में पाकिस्तान के अंदर अफगान तालिबान और टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के हमले तेजी से बढ़े हैं।
पाकिस्तानी अधिकारियों का कहना है कि ये सभी हमले अफगान क्षेत्र से आ रहे हैं, जहाँ तालिबान ने उन्हें खुली छूट दी है।
बीते 3 महीनों में यह चौथा बड़ा हमला है, जिसमें PAK आर्मी को भारी नुकसान हुआ है।
अफगानिस्तान से तनाव बढ़ा, पाकिस्तान की दोहरी नीति बेनकाब
कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके इस बात की याद दिलाते हैं कि पाकिस्तान ने ही कभी तालिबान को जन्म दिया था।
1990 के दशक में पाकिस्तान की आईएसआई ने तालिबान को आर्थिक और सैन्य मदद दी थी ताकि अफगानिस्तान में उसका प्रभाव बना रहे।
लेकिन अब वही तालिबान पाकिस्तान के खिलाफ खड़ा है।
अफगान सरकार ने कई बार कहा है कि पाकिस्तान “अपने बोए बीजों की फसल काट रहा है।”
इस हमले के बाद अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध और तनावपूर्ण हो गए हैं।
तालिबान का दावा: ‘हमने पाकिस्तानी आक्रामकता का जवाब दिया’
तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने दावा किया कि पाकिस्तान ने पहले सीमा पार कर उनके ठिकानों पर हमला किया था, जिसके जवाब में यह कार्रवाई की गई।
उन्होंने कहा —
“हमने अफगान क्षेत्र में किसी को घुसपैठ की अनुमति नहीं दी, लेकिन अगर कोई हमला करेगा तो जवाब ज़रूर मिलेगा।”
यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके अब सीधे पाकिस्तान की नीतियों को चुनौती दे रहे हैं।
PAK आर्मी का बयान: ‘शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी’
पाकिस्तान सेना ने आधिकारिक बयान में कहा —
“हमारे 12 बहादुर सैनिक शहीद हुए हैं, लेकिन हमने कई आतंकवादियों को भी ढेर किया। उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी।”
हालांकि, स्थानीय सूत्रों का कहना है कि 5 सैनिकों ने तालिबान के सामने हथियार डाल दिए क्योंकि उनके पास गोला-बारूद खत्म हो गया था।
सेना ने फिलहाल इस दावे की पुष्टि या खंडन नहीं किया है।
कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके: टैंक और चौकियों पर कब्जा
तालिबान ने सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें और वीडियो साझा किए हैं, जिनमें पाकिस्तानी टैंक और चौकियां उनके कब्जे में दिखाई दे रही हैं।
हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने इन्हें “फर्जी प्रचार” बताया है।
लेकिन उपग्रह तस्वीरों और कुछ स्वतंत्र पत्रकारों ने पुष्टि की है कि तालिबान ने वास्तव में कुछ सीमाई चौकियों पर नियंत्रण पा लिया है।
यह स्थिति पाकिस्तान के लिए गंभीर है, क्योंकि यह पहली बार है जब तालिबान ने इस स्तर पर भौगोलिक कब्जा किया है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और कूटनीतिक असर
अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए रखी है और अप्रत्यक्ष रूप से कहा है कि “आतंकवाद को पोषित करने वाले देश अब खुद उसी के शिकार हो रहे हैं।”
चीन ने भी चिंता जताई है क्योंकि उसका चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) इन इलाकों से होकर गुजरता है।
अगर ये क्षेत्र अस्थिर हुआ, तो चीन की अरबों डॉलर की परियोजनाएं खतरे में पड़ सकती हैं।
विश्लेषण: कब तक झेलेगा पाकिस्तान यह कहर
कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके अब पाकिस्तान के लिए आतंकवाद का नया चेहरा बन चुके हैं।
पाकिस्तान, जिसने दशकों तक “रणनीतिक गहराई” के नाम पर तालिबान को संरक्षण दिया, अब उसी रणनीति का शिकार बन रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान की आर्मी और आईएसआई अब आंतरिक विद्रोह और सीमाई युद्ध दोनों से जूझ रही हैं।
यह हमला पाकिस्तान के भीतर राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा सकता है।
इमरान खान की पार्टी पहले ही कह चुकी है कि “सरकार ने सेना को तालिबान के सामने कमजोर बना दिया है।”
`निष्कर्ष: टूटता नियंत्रण, बढ़ता खतरा
कहर बनकर टूटे तालिबानी लड़ाके अब पाकिस्तान की सीमाओं तक सीमित नहीं रह गए हैं — वे उसकी नीतियों, अर्थव्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा को भी चुनौती दे रहे हैं।
इस घटना ने यह साबित कर दिया है कि आतंकवाद को किसी एक दिशा में मोड़ने की कोशिश आखिरकार खुद उसी देश को निगल सकती है जिसने उसे पाला था।
अगर पाकिस्तान ने समय रहते निर्णायक कदम नहीं उठाया, तो आने वाले महीनों में यह “आंतरिक जंग” राष्ट्रीय संकट का रूप ले सकती है।