अंतिम सांस तक पीएम मोदी के साथ रहूंगा’, NDA में सीट बंटवारे पर सहमति के बाद बोले मांझी
अंतिम सांस तक पीएम मोदी के साथ रहूंगा — यह बयान बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने तब दिया जब एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर आखिरकार सहमति बन गई।
इस बयान ने बिहार की राजनीति में नया संदेश दे दिया है कि मांझी अब किसी भी परिस्थिति में पीएम मोदी के नेतृत्व से अलग नहीं होंगे।
एनडीए में सीट बंटवारे पर लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बाद अब स्पष्टता आई है। बीजेपी, जेडीयू, एलजेपी (पासवान) और हम पार्टी के बीच सीटों का फॉर्मूला तय हो गया है। इसके बाद जीतन राम मांझी ने पीएम मोदी के प्रति वफादारी दोहराते हुए कहा —
“मैंने पीएम मोदी का साथ कभी सिर्फ सत्ता के लिए नहीं दिया, बल्कि देश के विकास के लिए दिया है। मैं अंतिम सांस तक पीएम मोदी के साथ रहूंगा।”
NDA में सीट बंटवारे का फॉर्मूला: कौन कितनी सीट पर लड़ेगा
बिहार एनडीए में कुल 40 लोकसभा सीटों के बंटवारे पर सहमति बन गई है। सूत्रों के अनुसार:
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बीजेपी: 17 सीट
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जेडीयू (नीतीश कुमार): 16 सीट
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एलजेपी (चिराग पासवान): 5 सीट
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हम (जीतन राम मांझी): 2 सीट
यह फॉर्मूला पिछली बार की तुलना में थोड़ा बदला हुआ है, लेकिन इसमें सभी दलों की सहमति शामिल बताई जा रही है।
बैठक में अमित शाह, जेपी नड्डा, नीतीश कुमार, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी शामिल थे।
मांझी ने बैठक के बाद कहा कि “हम सबका एक ही लक्ष्य है — पीएम मोदी के नेतृत्व में 400 पार का लक्ष्य हासिल करना।”
मांझी का बयान: राजनीतिक प्रतिबद्धता का संदेश
जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या यह बयान किसी दबाव या राजनीतिक मजबूरी में दिया गया है, तो मांझी ने स्पष्ट कहा —
“जो लोग सोचते हैं कि मैं किसी स्वार्थ के लिए एनडीए में हूं, वे गलत हैं। मैं अंतिम सांस तक पीएम मोदी के साथ रहूंगा क्योंकि उन्होंने गरीबों के लिए काम किया है, समाज के हर वर्ग को सम्मान दिया है।”
उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के लिए जितना काम किया है, उतना आज़ादी के बाद किसी प्रधानमंत्री ने नहीं किया।
उनका यह बयान विपक्ष को सीधा संदेश था कि एनडीए में कोई मतभेद नहीं है।
बिहार की राजनीति में मांझी की अहमियत
बिहार में जीतन राम मांझी भले ही छोटी पार्टी के नेता हों, लेकिन दलित समाज में उनका प्रभाव काफी गहरा है।
अंतिम सांस तक पीएम मोदी के साथ रहूंगा जैसे शब्दों से मांझी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे अब जेडीयू या आरजेडी के किसी भी विकल्प पर विचार नहीं करेंगे।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बिहार में दलित वोट बैंक को साधने के लिए एनडीए मांझी की भूमिका को अहम मानता है।
2020 विधानसभा चुनाव में “हम” पार्टी ने चार सीटें जीती थीं, और कई जगहों पर एनडीए उम्मीदवारों को निर्णायक बढ़त दिलाई थी।
नीतीश कुमार और मांझी के बीच नए समीकरण
सीट बंटवारे के बाद यह सवाल उठ रहा था कि क्या मांझी और नीतीश के बीच सब कुछ सहज है।
हालांकि, मांझी ने इन आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा —
“नीतीश कुमार मेरे बड़े भाई जैसे हैं। हमारे बीच कोई मतभेद नहीं है। जो भी सीट फॉर्मूला तय हुआ है, वह सबकी सहमति से हुआ है।”
उन्होंने यह भी कहा कि एनडीए में किसी को ‘कम’ या ‘ज्यादा’ नहीं देखा जा रहा, सबका लक्ष्य एक ही है — “2025 और 2029 के मिशन में पीएम मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना।”
विपक्ष पर हमला: ‘INDI गठबंधन का कोई विज़न नहीं’
अंतिम सांस तक पीएम मोदी के साथ रहूंगा कहते हुए मांझी ने विपक्षी गठबंधन INDIA पर भी निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि “इन लोगों का सिर्फ एक ही एजेंडा है — मोदी विरोध। इनके पास न तो नेता है, न नीति, न नीयत।”
मांझी ने यह भी कहा कि जो दल देश की स्थिरता को खतरे में डालते हैं, वे जनता का भरोसा खो चुके हैं।
उनका कहना था कि बिहार में विपक्ष सिर्फ जातिगत समीकरणों पर भरोसा कर रहा है, जबकि पीएम मोदी ने विकास को राजनीति का केंद्र बनाया है।
बीजेपी नेताओं ने मांझी के बयान का किया स्वागत
मांझी के इस बयान के बाद बीजेपी के कई नेताओं ने सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया दी।
गृहमंत्री अमित शाह ने ‘X’ पर लिखा —
“जीतन राम मांझी जी का विश्वास देश के गरीब, दलित और वंचित वर्ग की भावनाओं को दर्शाता है। उनका साथ NDA के लिए प्रेरणा है।”
वहीं, पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि “मांझी जी का यह संकल्प NDA की एकजुटता का प्रतीक है।”
राजनीतिक विश्लेषण: NDA में एकजुटता या रणनीतिक संदेश?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अंतिम सांस तक पीएम मोदी के साथ रहूंगा जैसा बयान एक “स्ट्रेटेजिक सिग्नल” है।
बिहार में NDA यह दिखाना चाहता है कि उसके अंदर कोई असंतोष नहीं है और सब एकजुट हैं।
वहीं विपक्ष बार-बार यह आरोप लगाता रहा है कि सीट बंटवारे को लेकर अंदरूनी खींचतान जारी है।
मांझी के इस बयान से बीजेपी और जेडीयू दोनों को राहत मिली है क्योंकि इससे गठबंधन की स्थिरता का संदेश गया है।
निष्कर्ष: मांझी बने NDA की एकजुटता का प्रतीक
अंतिम सांस तक पीएम मोदी के साथ रहूंगा कहकर जीतन राम मांझी ने सिर्फ एक बयान नहीं दिया, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नई दिशा तय कर दी।
उनका यह संदेश बीजेपी और एनडीए के लिए बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला साबित हुआ है।
जहाँ विपक्ष एकता की कोशिश में लगा है, वहीं मांझी जैसे वरिष्ठ नेता की स्पष्टता ने NDA के “मजबूत गठबंधन” की छवि को और बल दिया है।
अब देखना यह होगा कि इस एकजुटता का असर आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कितना दिखता है।